रविवार, 2 नवंबर 2014

शुरूआती जांच में मिली खामी से गाउंड हुआ सुखोई-30 का बेड़ा

कविता जोशी.नई दिल्ली

बीते 14 अक्टूबर को पुणे के करीब दुर्घटनाग्रस्त हुए वायुसेना के अग्रणी पंक्ति के लड़ाकू विमान सुखोई-30एमकेआई का समूचा विमान बेड़ा फिलहाल
उड़ान नहीं भर पाएगा। यहां वायुसेना मुख्यालय में मौजूद वायुसेना प्रवक्ता विंग कमांडर सिमरनपाल सिंह बिर्दी ने कहा कि इस हादसे के बाद एहतियात के
तौर पर जब तक विमान के बेड़े में शामिल सभी विमानों की एक-एक करके बारीक से जांच-पड़ताल नहीं हो जाती तब तक इन्हें आधिकारिक उड़ान की इजाजत नहीं दी जाएगी। एक बार जांच का काम खत्म होने और उसकी रिपोर्ट से सीओआई के अधिकारियों के संतुष्ट होने के बाद ही विमानों को फिर से उड़ान भरने की अनुमति दी जाएगी। यहां बता दें कि हरिभूमि ने 16 अक्टूबर को इस विमान हादसे की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था जिसमें यह जानकारी दी थी कि इस हादसे के बाद सुखोई-30 विमान के समूचे बेड़े में शामिल सभी विमानों के उड़ान भरने पर वायुसेना की ओर से फिलहाल कोई रोक नहीं लगाई गई है। सुखोई- 30एमकेआई विमानों के बेड़े में वर्तमान में लगभग 180 विमान शामिल हैं जिनके उड़ान भरने पर रोक लगाई गई है।

हरिभूमि की पड़ताल में मिली जानकारी के मुताबिक हादसे के बाद वायुसेना की ओर से गठित की गई कोर्ट आॅफ इंक्वारी (सीओआई) की शुरूआत जांच में विमान में कुछ गंभीर तकनीकी खामियां सामने आई जिसके बाद वायुसेना ने सुखोई-30 विमान के पूरे बेड़े के उड़ान भरने पर रोक लगाने फलीट ग्राउंड करना) का निर्णय लिया है। जबकि शुरूआत में ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया था। हादसे की वजह मानवीय त्रृटि नहीं बल्कि तकनीक खामी बताई जा रही है।

गौरतलब है कि इन विमानों का निर्माण भारत और रूस के बीच हुए समझौते के तहत हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) में किया गया। इसमें रूस के सुखोई कारपोरेशन और एचएएल ने संयुक्त रूप से शुरूआत में विमान का निर्माण किया। विमानों की जांच प्रक्रिया में एचएएल के विशेषज्ञ,वायुसेना के अधिकारियों के अलावा अन्य महत्वपूर्ण हितधारक भी शामिल होंगे। गौरतलब है कि वर्ष 2009 से अब तक यह पांचवां सुखोई-30 विमान हादसा है और इससे पहले सुखोई के बेड़े को दो बार उड़ान भरने से रोका जा चुका है। संयोगवश विमान में सवार दो में से एक पायलट पूर्व में भी हुए एक सुखोई-30 विमान हादसे से संबद्ध है।

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