रविवार, 2 नवंबर 2014

अग्नि-5 मिसाइल की अग्नि परीक्षा का काउंटडाउन शुरू

कविता जोशी.नई दिल्ली

भारत की सामरिक-रणनीतिक क्षमता में कई गुना का इजाफा करने की क्षमता रखने वाली लंबी दूरी की बेलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 की असल अग्नि परीक्षा का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। जल्द ही इसका तीसरा टेस्ट होने वाला है, जिसमें रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) केनस्टराइज पद्वति से मिसाइल के परीक्षणों की शुरूआत करने वाला है। इस वर्ष दिसंबर महीने में होने वाला यह टेस्ट इस मिसाइल का तीसरा टेस्ट होगा। इससे पहले हो चुके दो परीक्षण खुले में लांचर से किए गए थे। डीआरडीओ वैज्ञानिक और मीडिया विभाग के प्रवक्ता डॉ.रवि गुप्ता ने हरिभूमि से खास बातचीत में कहा कि दिसंबर की शुरूआत में अग्नि -5 मिसाइल के केंस्टराइज पद्वति से परीक्षणों की शुरूआत होगी। इस पद्वति से मिसाइल के लगभग चार टेस्ट किए जाएंगे जिनके सफल होने के बाद मिसाइल को आधिकारिक रूप से तैनाती के लिए हरीझंडी मिल जाएगी।

क्या है केनस्टराइज पद्वति?
केनस्टराइज पद्वति में मिसाइल को एक केनस्टर यानि एक बंद कंटेनर जैसे खाके में डालकर लांचिंग साइट पर लाया जाता है। इसमें लांच के समय लगभग 30 मीटर ऊपर जाने के बाद मिसाइल का मीटर शुरू होगा जिससे उस दौरान निकलने वाली हानिकारक गैसें कम जगह पर फैलेंगी। इसके अलावा इससे मिसाइल को भारी-भरकम लांचिंग पैड से लादकर ले जाने से भी निजात मिलेगी। अब सीधे इसे शंक्वाकार आकार के केनस्टर में डालकर सीधे परीक्षण किया जा सकेगा। डॉ.गुप्ता ने कहा कि मिसाइल के अंदर पहली बार शंक्वाकार कंपोजिट रॉकेट मोटर बनायी है जो कि कार्बन कंपोजिट से बनी हुई है। कार्बन कंपोजिट की ताकत ज्यादा नहीं होती है, जिससे इसका भार कम हो जाता है। इस पद्वति को जांचने के लिए डीआरडीओ ने दो बार पूर्व में परीक्षण किए हैं, जिसमें कनेस्टराइज पद्वति से जुड़े हर छोटे-बड़े पहलू को जांचा-परखा गया है। पद्वति से जुड़े सभी मानकों पर यह टेस्ट खरे उतरे हैं।

अग्नि-5 मिसाइल की खूबियां
5 हजार किमी. की दूरी तक आसानी से मार करने वाली अग्नि-5 मिसाइल अंतर-महाद्वीपीय बेलेस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) है। यह 17 मीटर लंबी है और इसका वजन लगभग 50 टन है। मिसाइल अपने साथ 1 टन से ज्यादा की युद्धक सामग्री लेकर जाने की क्षमता रखती है। भारत की पूर्व दिशा से मिसाइल से वार किए जाने पर इसकी जद में समूचा चीन और पश्चिमी में समूचा यूरोप आ सकता है।

अमेरिका, रूस, चीन के समूह में भारत?
कनेस्टराइज पद्वति से परीक्षण सफल होने के बाद भारत अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा। यह देश बहुत पहले से कनेस्टराइज पद्वति से मिसाइलों के परीक्षण कर रहे हैं। कीमत के हिसाब से देखें तो यह तकनीक बेहद महंगी है लेकिन भारत ने स्वदेशी आधार पर इसका निर्माण किया है। मिसाइल से जुड़ी प्रक्रिया की शुरूआत वर्ष 2009 में हुई और अप्रैल 2012 में इसका पहला परीक्षण हुआ। इसके अगले वर्ष 2013 में दूसरा और अब जल्द ही तीसरा परीक्षण होगा।

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