गुरुवार, 20 नवंबर 2014

जम्मू-कश्मीर में बड़े हमले की तैयारी में खामोश आतंकी?

कविता जोशी.नई दिल्ली

जम्मू-कश्मीर में जारी चुनावी समर में कुछ दिनों से आतंकी हिंसा में गिरावट देखने को मिल रही है। बीते लगभग सप्ताह भर से राज्य के अंदर और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में बैठे आतंकवादियों ने हिंसा की किसी वारदात को अंजाम नहीं दिया है। इसके बावजूद सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह से अलर्ट पर हैं। उनका कहना है कि चंद रोज की यह खामोशी आने वाले दिनों में किसी बड़ी वारदात का सबब भी बन सकती है। थलसेना का कहना है कि हमारी तैयारी पक्की है, जिसमें हम किसी भी आतंकी घटना और हिंसक वारदात से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

आखिर क्यों खामोश हैं आतंकी?
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि बीते 1 से 16 नवंबर तक राज्य में आतंकवादियों ने लगातार हिंसक वारदातों को अंजाम दिया। लेकिन इसके बाद करीब सप्ताहभर से कहीं से किसी अनहोनी की खबर नहीं मिली है। इस खामोशी के पीछे सेना की सूबे में बढ़ी गश्त, सूबे में हालिया आई बाढ़ से परेशान स्थानीय ग्रामीणों का आतंकियों को समर्थन ना मिलना, एलओसी के उस पार से आतंकियों की घुसपैठ की कोशिशों का नाकाम होना, उनके हथियारों, आईईडी का पकड़ा जाना, योजनाओं का पहले खुलासा होना, प्रशिक्षित आतंकियों का अभाव जैसे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। सुरक्षा एजेंसियों को जम्मू-कश्मीर में 20 आईईडी का पता चला है, जिसमें से 7 को सेना ने जब्त किया है। इसमें 2 आईईडी फट गए थे और 5 सुरक्षित हैं। बीते दो महीने में सेना ने 7 एके-47, 6 बंदूकें, एक 303बंदूक , एक 12बोर, 25 ग्रेनेड बरामद किए हैं।

आतंकी हिंसा की पिछली वारदातें
जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2008 के चुनावों में तैनात रहे सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चुनावों के दौरान वहां आतंकवादियों द्वारा ज्यादा संख्या में रोजाना हिंसक वारदातें की जाती थी। इसकी तुलना में इस साल विधानसभा चुनावों में कुछ दिनों से राज्य में शांति बनी हुई है। आंकड़ों के हिसाब से साल 2008 के नवंबर-दिसंबर में हुए लोकसभा चुनाव में आतंकियों ने नवंबर महीने में हिंसा की कुल 15 वारदातें की और दिसंबर में 7 घटनाएं हुई। इस वर्ष 2014 में 1 से 16 नवंबर के बीच आतंकियों ने हिंसा की 16 वारदातों को अंजाम दिया है। 

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