सोमवार, 3 नवंबर 2014

चुनाव के दौरान बड़ी वारदात की फिराक में आतंकी!

कविता जोशी.नई दिल्ली

अक्टूबर के महीने में जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्टीय सीमा (आईबी) से लेकर नियंत्रण रेखा (एलओसी) तक पाक सेना की ओर से भारतीय सैन्य चौकियों से लेकर आबादी वाले इलाकों में की गई भीषण गोलीबारी के बाद अब आतंकवादी सूबे की आबोहवा को बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम देकर खराब करने की तैयारी में जुटे हुए हैं। केंद्र सरकार की खुफिया एजेंसियों के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 25 नवंबर से शुरू हो रहे विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य के भीतर मौजूद स्थानीय और पीओके में प्रशिक्षण ले रहे आतंकवादी किसी बड़ी वारदात को अंजाम देकर सूबे की शांति भंग करके लोगों में दहशत फैला सकते हैं। लोगों में खौफ पैदा करने के पीछे आतंकियों की मंशा उन्हें चुनाव में वोट डालने से रोकना है। इस दौरान आतंकी हमलों की तीव्रता पहले के मुकाबले ज्यादा हो सकती है। राज्य में पांच चरणों में होने वाले चुनाव की प्रक्रिया 25 नवंबर से लेकर 20 दिसंबर तक चलेगी।

चुनाव के दौरान ही भारत-पाकिस्तान के बीच पड़ने वाली 772 किमी. लंबी नियंत्रण रेखा (एलओसी) के निचले इलाकों में आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ की बड़े पैमाने पर कोशिश की जा सकती है। घुसपैठ के साथ-साथ एलओसी से लेकर राज्य में पड़ने वाली 215 किमी. लंबी आईबी तक पाक रेंजरों की ओर भीषण गोलीबारी का भी अंदेशा है। पाक सेना की फायरिंग आतंकियों को घाटी में प्रवेश करते वक्त ठोस सुरक्षा कवच प्रदान करने का काम करती है। एजेंसियों का कहना है इस बार घुसपैठ के सीजन में चुनाव हो रहे हैं, जिनका आतंकी संगठन फायदा उठा सकते हैं इसलिए इस दौरान राज्य में बड़े पैमाने पर हिंसक घटनाएं हो सकती हैं।

एलओसी के निचले इलाकों में बींबरगली, कृष्णाघाटी और पूंछ का इलाका आता है। इन जगहों पर आमतौर पर नवंबर तक ही बर्फ पड़ती है, जिसके मद्देनजर सुरक्षा एजेंसियों को लगता है कि इस समय इन जगहों से पाकिस्ताान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में चल रहे आतंकी शिविरों में प्रशिक्षण ले रहे आतंकी एलओसी लांघकर कश्मीर घाटी में घुसने का प्रयास जरूर करेंगे। घाटी में आतंकियों का सबसे बड़ा टारगेट श्रीनगर होगा। राजधानी में बड़ी वारदात की गूंज दिल्ली में काबिज नई नरेंद्र मोदी सरकार तक सीधे पहुंचेगी। उधर इसी दौरान जम्मू में अंतरराष्टीय सीमा पर संघर्षविराम उल्लंधन या फिदायीन हमले जैसी घटनाएं भी हो सकती हैं, जिसकी चपेट में जम्मू-श्रीनगर राष्टीय राजमार्ग (एनएच-1ए और अब एनएच-44) और आएबी से सटे इलाके आ सकते हैं।

गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों से भी राज्य में कई इलाकों में सेना और पुलिस की आतंकियों से मुठभेड़ की घटनाएं भी हुई हैं, जिसमें 29 अक्टूबर को हंडवारा में लश्करे तैयबा के तीन आतंकियों को सेना ने मारा गिराया। इसके अलावा अफगानिस्‍ताान से नाटो देशाें की सेनाओं की इस वर्ष के अंत तक होने वाली वापसी और उसके बाद आईएसआईएस जैसे तेजी से बढ़ते आतंकी संगठन और अफगान समर्थित तालिबान द्वारा दक्षिण एशिया में आतंक की नई शाखाएं खोलने की अपनी योजना जगजाहिर हो चुकी है जो कि भारत के लिए नई चुनौती बन सकती है। 

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