गुरुवार, 20 नवंबर 2014

सीसीई से त्रस्त बच्चों की मदद को आगे आई शिक्षा मंत्री

कविता जोशी.नई दिल्ली

पिछली यूपीए सरकार द्वारा तैयार किए गए कॉनटीन्यूअस एंड काम्प्रीहेंसिव ऐवेल्युशन सिस्टम (सीसीई) को लेकर बच्चों को खासी नाराजगी है। वो इस सिस्टम को अपने ऊपर एक तरह के दवाब के रूप में देखते हैं और उन्हें लगता है कि इससे उनके विकास में कोई योगदान नहीं हो रहा है। यहां जानकारी यहां सोमवार को अंतरराष्टÑीय विद्यार्थी दिवस के अवसर पर दिल्ली और एनसीआर के कुछ चुनिंदा स्कूलों के बच्चों से सीधे मुखातिब हुई केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी की बातचीत के दौरान सामने आई। बातचीत के अंत में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बच्चों को विश्वास दिलाया कि वो उनके सुझावों को जल्द होने वाली केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (कैब) की बैठक में शिक्षा संबंधी मामलों के हितधारकों के सामने रखेंगी। बैठक में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, राजनीतिक दलों के सांसद, शिक्षा से जुड़े विशेषज्ञ, सलाहकर, तकनीकी शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों समेत मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे।

बच्चों ने सीसीई सिस्टम को निराशा पैदा करने वाले बताया। उनका सामूहिक रूप से यह कहना था कि इसके जरिए बच्चों को दिए जा रहे ग्रेड्स मार्क्स केवल 10वीं कक्षा तक ही होते हैं उसके बाद हमें कॉलेज की पढ़ाई यानि दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन के लिए बड़ी-बड़ी परसेंटेज लाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। बच्चों का तर्क था कि ग्रेडिंग सिस्टम से बच्चों में आपस में हीन भावना पैदा हो रही है जैसे एक बच्चा जिसके 80 फीसदी नंबर आए उसे भी ए1 ग्रेड दिया गया और जिसके 90 फीसदी नंबर आए उसे भी ए1 ग्रेड मिला। ऐसे में आपस में दोनों के बीच का भेद समाप्त हो गया। 11वीं कक्षा के बच्चों ने शिक्षा मंत्री को बच्चों ने कहा कि पढ़ाई के साथ प्रैक्टिलों की बड़ी संख्या उनकी किताबी पढ़ाई में बाधक है। प्रैक्टिल में बच्चे केवल इंटरनेट से केवल कट एंड पेस्ट करते हैं सीखते कुछ नहीं हैं। लेकिन फिर भी वो सिलेबस का हिस्सा हैं। एनसीईआरटी की किताबों को लेकर भी बच्चे नाराज नजर आए। उनका कहना था कि कई किताबों में तथ्यात्मक गलती है और कई बार टीचर एनसीईआरटी छोड़कर बाकी किताबों को पढ़ने के लिए कहते हैं।

इस संवाद में शिक्षा मंत्री ने बच्चों से प्रैक्टिकलों की समस्या, एनसीईआरटी की किताबों, मूल्य आधारित शिक्षा, कोचिंग संस्थानों की जरूरत, वोकेशनल विषयों पर उनकी राय पूछी। बच्चों ने लगभग सभी मसलों पर बारीकी से अपने अनुभव मंत्री के साथ साझा किए। जिसके अंत में मंत्री ने एचआरडी मंत्रालय में उनकी अतिरिक्त सचिव नुपूर को यह जिम्मेदारी दी कि वो बच्चों द्वारा इन मुद्दों पर आए सुझावों का विश्लेषण करें। साथ ही मंत्रालय में संयुक्त शिक्षा सचिव को भी इस बाबत विश्लेषण करने को कहा। उन्होंने बच्चों से एक नया विषय हाईस्कूल और सैकेंडरी शिक्षा के स्तर पर शामिल करने के लिए भी सुझाव देने को कहा। बैठक में डीपीए द्वारका और इंद्रापुरम, मॉर्डन स्कूल बाराखंबा रोड, टयुलिप इंटरनेशनल स्कूल, कमल मॉडल सीनियर सैकेंडरी स्कूल के बच्चे शामिल थे।

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