मंगलवार, 25 नवंबर 2014

सिंधुरत्न हादसे में अधिकारी नोटिस के जरिए देंगे जवाब

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

इस वर्ष की शुरूआत में 26 फरवरी को मुंबई तट से कुछ दूरी पर हादसे का शिकार हुई सिंधुरत्न पनडुब्बी मामले में नौसेना ने 7 अधिकारियों को अलग- अलग कारणों के साथ दोषी पाया है। यह जानकारी मंगलवार को संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने राज्यसभा में सांसद विजय गोयल और प्रभात झा के प्रश्न के लिखित जवाब में दी। उन्होंने कहा कि हादसे के बाद गठित बोर्ड आॅफ इंक्वारी (बोओआई) की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है, जिसे जांच दल द्वारा यहां राजधानी स्थित नौसेना मुख्यालय को सौंपा गया था। नौसेना की मुंबई स्थित पश्चिमी कमांड द्वारा इन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। रक्षा मंत्री ने कहा कि नौसेना की एक अन्य पनडुब्बी सिंधुरक्षक के हादसे की बीओआई रिपोर्ट आ चुकी है। लेकिन नौसेना मुख्यालय द्वारा अभी इसका विश्लेषण नहीं किया गया है।

एडमिरल जोशी का इस्तीफा
सिंधुरत्न हादसे में नौसेना के दो अधिकारियों लेफिटनेंट कमांडर कपीश मुआल, लेफिटनेंट कमांडर मनोरंजन कुमार की जान चली गई थी और करीब 7 नाविकों को चोटें आई थी। इस हादसे की व्यापक्ता इतनी अधिक थी कि इसके कुछ घंटों बाद ही तत्कालीन नौसेनाप्रमुख एडमिरल डी.के.जोशी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। एडमिरल जोशी ने नौसेना में कुछ समय से एक के बाद एक हो रहे हादसों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया था। उनके बाद नए नौसेनाप्रमुख के रूप में एडमिरल आर.के.धोवन ने कार्यभार संभाला था। सिंधुरत्न से पहले 14 अगस्त 2013 को नौसेना की आईएनएस सिंधुरक्षक पनडुब्बी में आग लगने से धमाका हुआ और यह समुद्र में डूब गई थी जिसमें सवार चालक दल के सभी 18 लोगों की जान चली गई थी।

नौसेना का तर्क
यहां नौसेना के सूत्रों ने कहा कि बोओआई में दोषी करार दिए जाने के बाद अब नौसेना इन सात लोगों को कारण बताओ नोटिस जारी करेगी जिसका यह लगभग एक महीने के भीतर जवाब देंगे। इनके जवाब का नौसेना के विशेषज्ञ अधिकारी विश्लेषण करेंगे और उसके आधार पर सजा तय की जाएगी। यहां बता दें कि नौसेना में अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत दोष सिद्ध हो जाने के बाद उक्त व्यक्ति को जेल की सजा काटने से लेकर अधिकतम कोर्ट-मार्शल तक की कार्रवाई की जा सकती है। सिंधुरत्न हादसे की जांच कोमोडोर स्तर के अधिकारी रियर एडमिरल बोकरे की अध्यक्षता में की गई।

सिंधुरत्न पनडुब्बी की विशेषताएं
सिंधुरत्न किलो क्लास की रूस से ली गई डीजल चालित पनडुब्बी है। वर्ष 1988 में नौसेना में शामिल होने के बाद करीब 26 वर्षों का सफरनामा इस पनडुब्बी ने तय किया। आमतौर पर एक पनडुब्बी का जीवनकाल 30 वर्षों का होता है। ऐसे में अपने सेवाकाल को पूरा करने से पहले ही इसका हादसे का शिकार होने से नौसेना के सामने कई तरह के सवाल एक साथ उठ खड़े हुए। हादसे से पहले पनडुब्बी मई महीने में रिफिट के लिए गई थी। उसके बाद यह दिसंबर में बाहर आई और जांच (टास्क टू) के लिए समुद्र में भेजा गया जहां यह हादसा हुआ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें