गुरुवार, 20 नवंबर 2014

पहली डीएसी की बैठक की अध्यक्षता करेंगे पर्रिकर

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर शनिवार को होने वाली रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की पहली बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इस बैठक में रक्षा खरीद से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण समझौतों को हरीझंडी दी जा सकती है। 10 नवंबर को रक्षा मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने पत्रकारों को दिए अपने पहले संबोधन में कहा था कि सशस्त्र सेनाआें की भावी आवश्यकताआें को पारदर्शिता और तेज गति के साथ पूरा किया जाएगा। इसके अलावा सेनाआें के लिए जरूरी आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को भी पारदर्शी बनाने और उसमें गति लाने की बात पर्रिकर ने की थी। रविवार को रक्षा मंत्री गुडगांव में इंफॉरमेंशन मैनेजमेंट एंड एनॉलिसिस सेंटर (आईएमएसी) को कमीशन करेंगे। डीएसी की बैठक में रक्षा मंत्री के अलावा तीनों सेनाओं के प्रमुख, राष्टीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए), रक्षा मंत्रालय में सचिव, रक्षा मंत्रालय में सचिव (उत्पादन) के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।

रक्षा मंत्रालय के विश्वसनीय सूत्रों ने कहा कि सोमवार को गोवा से लौटने के बाद रक्षा मंत्री ने थलसेनाध्यक्ष, वायुसेनाध्यक्ष और नौसेनाध्यक्ष से मुलाकात की और उनसे अपनी-अपनी मांगों की प्राथमिक्ता के आधार पर जानकारी देने को कहा। रक्षा मंत्री का अपने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत का यह सिलसिला आने वाले दिनों में भी जारी रहेगा। सूत्रों का कहना है कि डीएसी की बैठक में कई अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी जा सकती है, जिसमें द.कोरियाई कंपनी से नौसेना के लिए 8 माइनस्वीपर जहाजों की खरीद का सौदा भी शालिम है।

गौरतलब है कि नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर.के.धोवन ने बीते सप्ताह कहा था कि अभी उनके पास मौजूद माइनस्वीपर जहाज बेहद पुराने हो चुके हैं। अब उन्हें नए जहाजों की नितांत आवश्यकता है। हालांकि इस सौदे में मध्यस्थ के शामिल होने के आरोपों के चलते यह लंबे समय से अटका पड़ा है। अटार्नी जनरल मुकूल रोहतगी ने भी इस बाबत रक्षा मंत्रालय को नकारात्मक टिप्पणी की है। इन तमाम तथ्यों को नए रक्षा मंत्री को ध्यान में रखकर इस सौदे पर विचार करना होगा। हालांकि रक्षा मंत्री पहले यह साफ कर चुके हैं कि वो रक्षा खरीद प्रक्रिया बेहद पारदर्शी और तेज बनाएंगे। यूपीए सरकार में रक्षा खरीद प्रक्रिया बेहद सुस्त रफतार से आगे बढ़ी जिसकी वजह से कई सौदे अभी केवल बातचीत के स्तर पर ही हैं।

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