रविवार, 2 नवंबर 2014

जमीन पर नहीं अंतरिक्ष में लड़े जाएंगे ‘भविष्य के युद्ध’

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

अब तक दुनिया में लड़ी जाने वाली तमाम लड़ाईयों के केंद्र में जमीन, आकाश और पानी होता था लेकिन आने वाले समय में यह प्राथमिक्ता बदल जाएगी और इसका स्थान साइबर स्पेस यानि अंतरिक्ष ले लेगा। संचार और सूचना तकनीक में हो रहे क्रांतिकारी बदलावों की वजह से भविष्य के युद्ध अंतरिक्ष में लड़े जाएंगे। यहां राजधानी में आयोजित सैन्य कमांडरों के संयुक्त सम्मेलन को शुक्रवार को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बातें कही। उन्होंने कहा कि तकनीक से जुड़े माध्यमों में हो रहे तेज बदलावों के बीच आपको उस चुनौती का आभास तो होगा जो आपके आसपास है लेकिन उसे साक्षात देख पाना बेहद कठिन होगा। ऐसी स्थिति में आपका अपने दुश्मन से मुकाबला बेहद मुश्किल हो जाएगा यानि एक ऐसा दुश्मन जो है लेकिन
अदृश्य। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली नई सरकार का शुरूआत से ही डिजिटल इंडिया का नारा रहा है और खुद पीएम नई-नई तकनीकों को अपनाने और देश में इनके प्रसार को लेकर जोर देते रहते हैं। सम्मेलन में रक्षा मंत्री अरुण जेटली, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, थलसेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग, वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल अरुप राहा, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर.के.धोवन, राष्टÑीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, रक्षा सचिव आर.के.माथुर मौजूद थे। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सम्मेलन से इतर थलसेना के सभी कमांडों के प्रमुखों से अलग से मुलाकात की और भारत की पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान की ओर से लगातार किए जा रहे संघर्षविराम उल्लंधन और भारतीय सैन्य चौकियों पर की जा रही गोलीबारी के मुद्दे पर चर्चा की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज लंदन के दौरे पर हैं इसलिए वो सम्मेलन में शामिल नहीं हुई।

पीएम ने कहा कि आने वाले दिनों में दो शब्द बेहद महत्वपूर्ण होने वाले हैं। पहला साइबर और दूसरा स्पेस। साइबर स्पेस पर दबदबा अब अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगा। इतना ही नहीं स्पेस पर नियंत्रण उतना ही मुश्किल हो जाएगा जितना कि जल, थल और आकाश पर नियंत्रण करना होता है। अस्त्र-शस्त्रों से परिपूर्ण युद्ध तो शायद अब नहीं होगा लेकिन जमीन पर सेनाआें का जमावड़ा विरोधी पर दबाव और आपके व्यवहार को प्रदर्शित का जरिया बना रहेगा। प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कि विवादों यानि लड़ाई की अवधि छोटी हो जाएगी। पीएम ने सशस्त्र सेनाओं के सामने अपने वादे को दोहराते हुए कहा कि आपके समक्ष आधुनिकीकरण की जरूरतों से लेकर रक्षात्मक तैयारियों के मामले में कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी। पीएम ने सेनाआें से भी रक्षा खरीद प्रक्रिया खासकर घरेलू विकास और रक्षा उपकरणों के उत्पादन के मुद्दे में सुधार के लिए सुझाव देने की भी बात कही। पीएम ने जम्मू-कश्मीर में बाढ़ से लेकर विशाखापट्टनम में आए चक्रवाती तूफान में चलाए गए राहत एवं बचाव अभियान की भी सराहना की।

रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सुरक्षा एक पेचीदा मसला है। हमारा पड़ोस बेहद अशांत है। हमें हमेशा किसी भी प्रकार की चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। पाकिस्तान एक वैश्विक समस्या है। भारत लगातार बीते दो दशकों से आतंकवाद की विभाषिका झेल रहा है, लेकिन हमारी सेनाएं कारगर ढंग से इसका मुकाबला कर रही हैं। उन्होंने एलओसी और एलएसी पर चुमार में चीन के साथ हुए विवाद के सेनाओं द्वारा किए गए निवारण पर उनकी सराहना की।

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