रविवार, 2 नवंबर 2014

भारत के लिए बड़ा सिरदर्द बनेगा आईएसआईएस?

कविता जोशी.नई दिल्ली

इराक और सीरिया मेें आतंक का पर्याय बन चुका आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट आॅफ इराक एंड सीरिया यानि आईएसआईएस अब भारत में भी आतंक का खूनी खेलने की तैयारी कर रहा है? जम्मू-कश्मीर से लेकर देश भर में गूंज रहे इस सवाल ने थलसेना के माथे पर भी चिंता की लकीरें खींच दी हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए राजधानी दिल्ली में चल रहे सैन्य कमांडरों के वार्षिक सम्मेलन में गुरुवार को आईएसआईएस की चुनौती को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। उधर नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) के महानिदेशक जयंत चौधरी ने अपने एक बयान में चेतावनी देते हुए कहा है कि आतंकी संगठन आईएसआईएस और अफगान तालिबान मिलकर भारत के कई शहरों में हमले की योजना बना रहे हैं। एनएसजी प्रमुख की यह चेतावनी खुफिया एजेंसी के अलर्ट के ठीक अगले दिन आई है।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक सैन्य कमांडरों के सम्मेलन के एजेंडें में प्रमुखता से शामिल इस विषय पर सेनाप्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग और अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को जम्मू-कश्मीर स्थित सेना की उत्तरी कमांड के प्रमुख लेफिटनेंट जनरल डी.एस.हुड्डा ने विस्तार से जानकारी दी। हाल ही में कश्मीर स्थित सेना की 16वीं कोर के कमांडर लेफिटनेंट जनरल सुब्रत साहा भी राज्य में कुछ जगहों पर आईएसआईएस द्वारा झंडे फहराए जाने को गंभीर चिंता का विषय बता चुके हैं। इन सबके के बीच अब यह कयास लगने तेज हो गए हैं कि सेना जल्द ही आईएसआईएस की चुनौती से निपटने को लेकर कोई व्यापक रणनीति का खाका खींच सकती है।

सम्मेलन में देश में मौजूद सेना की सभी सातों कमांड़ों के प्रमुखों के अलावा सेना और रक्षा मंत्रालय के तमाम वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। सम्मेलन का समापन शुक्रवार 17 अक्टूबर को सशस्त्र सेनाआें के संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन के साथ होगा। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपना संबोधन देंगे। हरिभूमि को मिली जानकारी के मुताबिक अफगानिस्तान से मौजूदा वर्ष 2014 के अंत तक नाटो देशों की सेनाआें की वापसी के बाद तालिबान समर्थित आतंकी गुटों के केंद्र पर फिर से भारत और मुख्य रूप से कश्मीर होगा। ऐसे में कश्मीर से लेकर देशभर में आतंक का खूनी खेल खेलने के लिए यह संगठन स्थानीय कश्मीरी आतंकी संगठनों और आईएसआईएस जैसे संगठन के साथ गठजोड़ करने से भी गुरेज नहीं करेंगे। गौरतलब है कि अफगानिस्तान में आतंकी संगठन लश्करे तैयबा के मुखिया ओसामा बिन लादेन के खिलाफ अमेरिका द्वारा चलाए गए नाटो देशों की सेनाआें के संयुक्त सैन्य अभियान के दौरान कुल 60 हजार सेनाएं तैनात थीं। इसमें से 40 हजार के करीब फौज की वापसी होगी और 20 हजार अफगानिस्तान में ही रहेगी। इस 20 हजार में लगभग 16 हजार के सैनिक अमेरिकी सेना के हैं और शेष 4 हजार अन्य नाटो देशों के हैं।

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