रविवार, 16 नवंबर 2014

गाड़ियों के बढ़ती संख्या से गंभीर खतरा बनता वायु-प्रदूषण

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

देश में तेजी से बढ़ रही वाहनों की रफतार से वायु प्रदूषण चौंकाने वाले हानिकारक स्तर तक जा पहुंचा है। इससे वातावरण से लेकर मानव स्वास्थ्य, खेती और ग्लेशियरों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। बीते दिनों द एनर्जी एंड रिर्सोस इंस्ट्टीट्यूट (टेरी) ने ‘आॅप्शन टू रिडियूज रोड ट्रांसपोर्ट पॉल्यूशन इन इंडिया’ नामक एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की जिसमें भारत में तेजी से बढ़ रही वाहनों की रμतार और उनसे निकलने वाले हानिकारक धुंए से होते हुए वायु-प्रदूषण में कमी लाने के लिए उपाए सुझाए गए। टेरी के महानिदेशक डॉ.आर.के.पचौरी ने नई सरकार से आग्रह किया है कि वो उनकी रिपोर्ट को स्वीकार करें और इसके हिसाब से वाहनों के लिए एक व्यापक स्वच्छ ईंधन के मानकों का खाका देश के सामने जल्द प्रस्तुत करें। इससे वायु-प्रदूषण की बढ़ती रफतार पर लगाम लगाई जा सके।

रिपोर्ट में वैज्ञानिक आधार पर वाहनों से बढ़ रहे हानिकारक गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने पर जोर दिया गया है। देश में इससे निपटने की तकनीक मौजूद है केवल आवश्यकता उसे तत्काल प्रशासन द्वारा देश के शहरों में लागू करने की है। वायु-प्रदूषण से लड़ने के लिए भारत और केलिर्फोनिया ने द इंडिया-केलिफोर्निया एयर पॉल्यूशन मीटिगेशन कार्यक्रम तैयार किया है। इसमें विश्व बैंक वित्तीय भागीदार होगा। आंकड़ों के हिसाब से भारत में वाहनों की संख्या 1991 में 20 मिलियन, 2011 में 140 मिलियन हो गई है। वर्ष 2030 तक वाहनों की संख्या 400 मिलियन हो जाने की संभावना है। वाहनों की बढ़ी हुई संख्या से पर्यावरण के लिए हानिकारक गैसों के उत्सर्जन में बहुत इजाफा होगा। ट्रक उत्सर्जन की रμतार को बढ़ाने में ज्यादा योगदान करेंगे।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक लोगों में बीमारियां बढ़ाने वाले कारकों में मृत्युकारक के रूप में वायु-प्रदूषण 5वें स्थान पर और स्वास्थ्य बोझ में इसका नबंर 7वां है। इसकी वजह से करीब 4 लाख 27 हजार लोगों की जान जा सकती है। दुनिया के 20 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की सूची में 13 भारत के हैं और इसमें राजधानी दिल्ली शीर्ष पर है। केलिफोर्निया में इस तरह की समस्या 1940 और 50 के दशक में थी। बदलाव के लिए उन्होंने स्वच्छ वाहन मानकों का निर्धारण किया और इससे र्इंधन को कई गुना साफ किया गया। आज हालत यह है कि केलिफोर्निया में गडियां 99 फीसदी स्वच्छ र्इंधन के मानक पर चल रही हैं और डीजल चालित वाहनों में यह पैमाना 98 फीसदी है। साथ ही वहां वाहन उद्योग निरंतर प्रगति कर रहा है। भारत को भी स्वच्छ र्इंधन मानकों को जल्द ही लागू करना चाहिए।

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