रविवार, 2 नवंबर 2014

सेना रखेगी आईएसआईएस-तालिबान गठजोड़ पर पैनी नजर!

कविता जोशी.नई दिल्ली

जम्मू-कश्मीर में कुछ दिन पहले इस्लामिक स्टेट आॅफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के झंडे लहराए जाने से लेकर बाहरी आतंकी संगठनों द्वारा भारत में अपने संगठन के विस्तार और आंतक का खूनी खेल खेलने की खबरों के बीच यहां राजधानी में थलसेनाप्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने सेना की सभी कमानों के प्रमुखों को भारतीय सीमा के बाहर उप-महाद्वीप में घटने वाली हर गतिविधि पर लगातार पैनी निगाह बनाए रखने का निर्देश दिया है। यहां राजधानी में बीते चार दिनों से चल रहे सैन्य कमांडरों के संयुक्त सम्मेलन में उन्होंने कहा है कि बाहरी सुरक्षा यानि अपनी निकट आस-पड़ोस में सैन्य  और राष्टीय सुरक्षा के मुद्दों पर होने वाले तमाम बदलावों पर कड़ी नजर बनाए रखें। सेनाप्रमुख का कमांडरों को दिए गए इस संदेश के पीछे भारत के निकटतम प्रतिद्वंद्वी-पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से लेकर अफगानिस्तान में वर्तमान में हो रहे सैन्य-सुरक्षात्मक बदलावों को लेकर बदल रही आतंकवादी गुटों की रणनीति के परिदृश्य में देश की राष्टीय सुरक्षा पर किसी तरह की कोई आंच ना आने को लेकर दिया गया मूलमंत्र छिपा हुआ है।

हरिभूमि ने बीते 17 अक्टूबर को आईएसआईएस-तालिबान गठजोड़ भारत के लिए बन सकता है सिरदर्द शीर्षक से खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसमें यह स्पष्ट था कि सेनाप्रमुख ने इस बाबत सम्मेलन के दौरान सेना के विभिन्न कमानों के प्रमुखों से विस्तार से चर्चा की गई है। इसी की पुष्टि सेनाप्रमुख दलबीर सिंह सुहाग ने सैन्य कमांडरों के सम्मेलन की समाप्ति पर दिए गए अपने संबोधन में की है। सेनाप्रमुख ने आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर जोर देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी संगठनों के हौसले सेना को इतने ध्वस्त कर देने चाहिए कि राज्य में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में वो किसी तरह की कोई गड़बड़ी करने का साहस ना कर सके। उन्होंने उत्तर-पूर्व की स्थिति पर संतोष जताते हुए कहा कि विवाद निवारण तंत्र में सभी हितधारकों को भागीदार बनना चाहिए।

गौरतलब है कि अफगानिस्तान में आतंकी संगठन लश्करे तैयबा के मुखिया ओसामा बिन लादेन के खिलाफ अमेरिका द्वारा चलाए गए नाटो देशों की सेनाआें के संयुक्त सैन्य अभियान के दौरान कुल 60 हजार सेनाएं तैनात थीं। इसमें से 40 हजार के करीब फौज की वापसी होगी और 20 हजार अफगानिस्तान में ही रहेगी। इस 20 हजार में लगभग 16 हजार के सैनिक अमेरिकी सेना के हैं और शेष 4 हजार अन्य नाटो देशों के हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें