गुरुवार, 20 नवंबर 2014

अरूणाचल में जापान बनाएगा भारत की सड़कें

कविता जोशी.नई दिल्ली

केंद्र सरकार द्वारा पूर्वोत्तर में भारत-चीन नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ-साथ उसके इलाके में सामरिक सड़कों का निर्माण करने का ठेका जापान को दे दिया है। अब जापान यहां सेना द्वारा प्रस्तावित कुल 22 सामरिक लिहाज से महत्वपूर्ण सड़कों का निर्माण करेगा। हरिभूमि की पड़ताल में मिली जानकारी के मुताबिक हाल ही में भारत सरकार ने जापान की जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (जेआईसीए) के साथ इस बाबत समझौता किया है। जल्द ही जेआईसीए सड़कों का निर्माण कार्य शुरू कर सकती है। भारत-चीन के साथ करीब 3 हजार 488 किमी. लंबी सीमा साझा करता है।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सेना ने अरूणाचल-प्रदेश में कुल 22 सामरिक सड़कों का प्राथमिक्ता के आधार पर निर्माण करने का प्रस्तााव मंत्रालय को सौंपा था। बीते दिनों हुई रक्षा मामलों की संसद की सलाहकार समिति की बैठक में भी पूर्वोत्तर सीमा के करीब होने वाले सड़कों के इस निमार्ण कार्य के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। अरूणाचल में इन 22 सड़कों में कुल 2 हजार किमी. का भूभाग शामिल होगा। इसकी शुरूआत राज्य की भूटान से लगी पश्चिमी-सीमा पर स्थित तवांग से होगी और इसका समापन अरूणाचल के पूर्व में हवाई के करीब होगा। याद रहे कि पूर्व में अरूणाचल की सीमा म्यांमार से लगी हुई है।

दो हजार किमी. के इस लंबे स्ट्रेच में यह सड़क अरूणाचल-प्रदेश के एलएसी से सटे हुए 11 महत्वपूर्ण इलाकों से गुजरेगी। इसमें पश्चिमी में तंवाग से लेकर पूर्वी कामिंग, अपर सुबानसीरी, पश्चिमी शियांग, अपर शियांग, दियाबांग वैली, देशाली, चागलागम, किबूथु, डोंग और हवाई से लगी पूर्वी सीमा के करीब होगा।

गौरतलब है कि बीते मई महीने में केंद्र में सत्तासीन हुई भाजपा सरकार चुनाव के समय और इसके बाद देश की पश्चिमी से लेकर पूर्वी सीमा तक सड़कों और अन्य जरूरी सामरिक ढांचे के निर्माण को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करती रही है। यह उसके शीर्ष एजेंडे में भी शामिल है। चीन, अरूणाचल में सड़क बनाने के भारत के फैसले का विरोध कर रहा है। उसका तर्क है कि अरूणाचल-प्रदेश का उत्तरी इलाका उसके तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र (टीएआर) का हिस्सा है। यहां दोनों देशों के बीच अंतरराष्टीय सीमा का निर्धारण नहीं है इसलिए वो इसे विवादित इलाका कहता है। विवादित इलाके में भारत कोई निर्माण कार्य नहीं कर सकता। लेकिन भारत की दलील है कि यह सड़कें एलएसी के साथ-साथ लगे उसके अपने इलाके में बनाई जाएंगी जो कि सीमाओं की सुरक्षा के लिहाज से बेहद जरूरी है। कुछ दिन पहले भी चीन ने बयान दिया था कि उसे जापान द्वारा भारत में मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड में सड़कें बनाने की सूचना मिली है लेकिन अरूणाचल के बारे में जानकारी नहीं है। 1997-98 में सीमाआें पर सामरिक ढांचे का निर्माण तत्कालीन एनडीए सरकार की प्राथमिक्ताओं में शामिल था।

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