सोमवार, 3 नवंबर 2014

आईपीसीसी की पांचवी रिपोर्ट ने बजाया अलार्म!

कविता जोशी.नई दिल्ली

जलवायु परिवर्तन को लेकर गठित ख्याति प्राप्त अंतरसरकारी पैनल (आईपीसीसी) की पांचवी रिपोर्ट ने दुनिया भर के देशों के लिए खतरे का अलार्म बजा दिया है। यह चेतावनी साफ इशारा कर रही है कि अगर समय रहते जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उचित कदम नहीं उठाए गए तो 2030 तक पृथ्वी के तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस का इजाफा हो सकता है। धरती का तापमान बढ़ने से जलवायु परिवर्तन से जुड़ी बाढ़, सूखा, बेमौसम बरसात और हिमपात जैसी घटनाआें से काफी नुकसान होगा।

रविवार को जारी की गई यह रिपोर्ट विश्वभर के 800 वैज्ञानिकों के बीते 13 महीनों के दौरान किए गए अध्ययन और सर्वेंक्षण पर आधारित है, जिन्होंने इस दौरान जलवायु परिवर्तन का व्यापक अध्ययन किया है। रिपोर्ट में विकासशील देशों जिसमें भारत भी शामिल है के लिए स्थितियां बेहद चुनौतीपूर्ण हैं। क्योंकि इन देशों के पास जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए सीमित साधन मौजूद हैं। सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, संस्थागत रूप से सीमित एवं वंचित समुदायों के लोग इस लिहाज से अधिक संवेदनशील हैं। इस वर्ग का भारत में अच्छा-खासा आंकड़ा मौजूद है।

आईपीसीसी के अध्यक्ष और भारत के जाने माने गैर सरकारी संगठन द एनर्जी एंड रिर्सोस इंस्‍टटीटयूट, टेरी के महानिदेशक डॉ.आर.के.पचौरी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर स्पष्ट और प्रभावशाली नियंत्रण रखना जरूरी है। हमारे पास समय बहुत कम है क्योंकि वार्मिंग यानि तापमान में हो रही वृद्धि 2 डिग्री से अधिक होने के कगार पर पहुंच चुकी है। इसे 2 डिग्री से नीचे रखने के लिए हमें वातावरण के लिए हानिकारक जीएचजी गैसों के स्तर को 2010 से 2050 के बीच 40 से 70 फीसदी तक कम करना होगा और 2100 तक इसे शून्य के स्तर तक लाना होगा। उन्होंने कहा कि अभी स्थिति हमारे हाथ में है और हम ऐसा कर सकते हैं।

आईपीसीसी कार्यदल के सह-अध्यक्ष विसेन्टे बैरोस ने कहा कि ग्रीन हाउस गैसों (जीएचजी) के बढ़ते हुए स्तर में कमी लाना बेहद जरूरी है। जीएचजी गैसों के बढ़े हुए उत्सर्जन स्तर की वजह से तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिसे देखते हुए इसे कम करने के प्रयास तेजी से करने होंगे। आईपीसीसी के कार्य-दल के सह-अध्यक्ष यूबा सोकोना ने बताया कि कम कार्बन (लो-कार्बन) की अर्थव्यवस्थाओं की ओर रूख करना फायदेमंद साबित होगा। लेकिन इसके लिए उचित नीतियों का अभाव है, जिसके लिए तेजी से काम करना होगा। हम कार्रवाई करने में जितनी देरी करेंगे उतना ही परिणामों को नियंत्रित करने में दिक्कत होगी।

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