रविवार, 2 नवंबर 2014

सप्ताह भर बाद बदल सकते हैं भारत-पाक सीमा के हालात!

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

जम्मू-कश्मीर में भारत-पाकिस्तान सीमा पर चल रही गोलीबारी सप्ताह भर बाद थम सकती है। इसके संकेत दो तरफ से गुरुवार को साफ तौर पर देखने को मिले। एक ओर रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने अपने कृष्ण मेनन मार्ग पर स्थित आवास पर पत्रकारों से बातचीत में पाकिस्ताान को कड़े लिहजे में चेतावनी देते हुए कहा कि हमने अपना संदेश दे दिया है। इसके बाद भी सीमा पर गोलीबारी चलती रही तो इसका कड़ा खामियाजा पाक को भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर में भारत-पाकिस्ताान नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पूंछ, तंगदार जैसे इलाकों में सर्दियों की आहट लिए पहली बर्फबारी हुई है। आगामी कुछ दिनों में बर्फ बारी का यह सिलसिला लगातार चलेगा। इसके बाद सीमा के उस पार से घुसपैठ के तमाम रास्ते बंद हो जाएंगे।

सरकार के खुफिया ब्यूरो के सूत्रों के अनुसार अक्टूबर महीने के यह बचे कुचे दिन पाक सेना से लेकर उनके समर्थित आतंकी गुटों के लिए सुनहरा मौका है कि सीमा पर एक ओर ताबड़तोड़ गोलीबारी की जाए और दूसरी ओर इस गोलीबारी की आड़ में ज्यादा से ज्यादा संख्या में आतंकवादियों को आसानी से बॉर्डर पार कराकर घुसपैठ की जाए। गौरतलब है कि बर्फबारी के बाद जम्मू-कश्मीर में प्रवेश के तमार्म सड़क मार्ग बंद हो जाने के बाद आतंकवादी अन्य जगहों जैसे नेपाल के रास्ते या समुद्री मार्गों से घुसपैठ की जुगत भिड़ाने में लग जाते हैं। आतंकी घुसपैठ की घटनाओं पर नजर डाली जाए तो बीते पांच वर्षों में 369 आतंकवादियों ने सीमा को लांघकर भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया है।

मौजूदा वर्ष 2014 में जनवरी से अक्टूबर तक 54 आतंकवादियों ने घुसपैठ के जरिए भारत में प्रवेश किया है। वर्ष 2012 में सबसे ज्यादा आतंकवादी राज्य में घुसने में कामयाब हुए और उस दौरान इनका आंकड़ा 121 था। साल 2013 में यह आंकड़ा 97, वर्ष 2011 में 52, वर्ष 2010 में 95 आतंकवादियों ने सीमा पार से घुसपैठ के जरिए भारत में प्रवेश किया। इनमें से घुसपैठ ज्यादातर मार्च से अक्टूबर के महीने में की गई हैं। जनवरी से मार्च और नवंबर से दिसंबर के महीनों के बीच आमतौर पर घुसपैठ कम ही देखने को मिलती है।

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