मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

सेना में बढ़ रहे हैं आत्महत्या के मामले!

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

अपने घरबार से कोसो दूर सरहद पर देश की दिन-रात रक्षा में जुटे सेना के रणबांकुरों में आत्महत्या के मामलों में इजाफा देखने को मिल रहा है। रक्षा मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के हिसाब से बीते चार वर्षों में थलसेना में आत्यहत्या के कुल 353 मामले सामने आए हैं। इसमें बीते 30 नवंबर को जम्मू-कश्मीर के शोपियां में 62 राष्टीय राइफल (आरआर) के जवान द्वारा की गई आत्महत्या का मामला भी शामिल है। सेना के सूत्रों ने कहा कि जवान ने तड़के सुबह चार बजे अपनी बंदूक से अपनी ठुड्डी में गोली मारकर आत्महत्या कर ली। सेना ने घटना की जांच (कोर्ट आॅफ इंक्वारी) के आदेश दे दिए हैं। जवान के नाम के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। लेकिन उसकी उम्र 28 साल बताई जा रही है और वो हिमाचल-प्रदेश के कांगड़ा का रहने
वाला है। उधर सेनाप्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग सोमवार को दो दिनों के जम्मू-कश्मीर के दौरे पर रवाना हो गए हैं, जिसमें वो श्रीनगर, उधमपुर से लेकर भारत-पाक नियंत्रण रेखा (एलओसी) के करीब सेना की फारवर्ड पोस्टों का दौरा करेंगे। सेनाप्रमुख मंगलवार शाम दिल्ली लौटेंगे। उनकी इस यात्रा का मकसद राज्य में चल रहे विस चुनावों के दौरान सुरक्षा हालातों का विस्तार से विश्लेषण करना है।

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने लोकसभा में सांसद ओम बिरला के प्रश्न के लिखित जवाब में सेना में बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि थलसेना में आत्महत्या के सर्वाधिक 105 मामले साल 2011 में देखने को मिले। इसके अगले साल 2012 में 95, 2013 में 86 और मौजूदा साल में 21 नवंबर तक आत्महत्या के 76 मामले सामने आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि जवानों द्वारा अपने ही परिजनों की हत्या यानि फ्रेक्ट्रीसाइड के बीते चार वर्षों में 10 मामले सामने आए हैं। इसके अलावा वायुसेना में बीते चार सालों में आत्महत्याओं के 76 और नौसेना में 11 मामले सामने आ चुके हैं। वायुसेना में फ्रेक्ट्रीसाइड का 1 मामला सामने आया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि इन घटनाओं के पीछे व्यक्तिगत से लेकर घरेलू, वित्तीय,पारिवारिक, सामाजिक दवाब, दवाब झेलने की क्षमता का खत्म होना, वैवाहिक और मानसिक जैसे कारण जिम्मेदार हैं।

रक्षा मंत्री ने सदन को बताया कि सरकार इन घटनाआें को रोकने के लिए कई कदम उठा रही है। इसमें जवानों को रहने और काम करने के लिए बेहतर वातावरण और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराना, परिवार के लिए अतिरिक्त व्यवस्था, छुट्टियों की सुविधा, विवादों के निपटारा करने के लिए उचित तंत्र बनाना, काउंसलरों द्वारा जवानों को काउंसलिंग दिया जाना शामिल है। इसके अलावा जवानों की यूनिटों में योगा और मेडिटेशन जैसी गतिविधियों का आयोजन किया जाना शामिल है।

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