शुक्रवार, 5 दिसंबर 2014

बंदरगाहों पर जारी चीनी गतिविधियों पर नौसेना की नजर!

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

चीन की भारत के पड़ोसी देशों के बंदरगाहों और तटों पर लगातार बढ़ रही इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण और सामरिक गतिविधियों पर नौसेना पैनी नजर रखे हुए हैं। इनके कई तरह के प्रभाव हो सकते हैं, जिसकी वजह से हम इनकी निगरानी करते रहते हैं। यहां राजधानी में नौसेना दिवस के पूर्व में आयोजित वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर.के.धोवन ने कहा कि चीन का इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण तेजी से बढ़ रहा है। नौसेना को इस बात की जानकारी है कि चीन, भारत के तटों के करीब मौजूद पड़ोसी देशों के बंदरगाहों पर इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से निर्माण कर रहा है। नौसेना उसकी गतिविधियों की सूक्ष्म दृष्टि से निगरानी कर रही है।

नौसेनाप्रमुख ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने का यह कार्य किस दिशा में आगे बढ़ता है उसे लेकर हम बेहद सतर्क हैं और उस पर पूरी नजर बनाए हुए हैं। क्योंकि इस निर्माण कार्य के कई तरह के प्रभाव हो सकते हैं। यहां बता दें कि चीन ने हाल के समय में भारत के निकट पड़ोसी देश पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से लेकर बांग्लादेश के चिटगांव और श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह से लेकर मतारा अंतरराष्टीय हवाईअड्डे का निर्माण किया है। इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित के अलावा चीन की उसके तटों के आसपास बढ़ रही सैन्य गतिविधियां भी चिंता का सबब हैं। बीते सितंबर महीने में राष्टपति प्रणब मुखर्जी की वियतनाम यात्रा के दौरान चीन ने श्रीलंका के कोलंबो और त्रिनकोमाली बंदरगाहों पर अपनी पनडुब्बी को सतह पर लाया जिसमें श्रीलंका ने उसे खुला समर्थन दिया था। भारत ने इसका दबी जुबान में विरोध किया जिसका श्रीलंका पर कोई असर नहीं पड़ा। उलटा उसने भारत को आंकड़ेबाजी के ऐसे जाल में उलझाया कि भारत उलझ कर ही रह गया।

श्रीलंका का तर्क था कि उसके तट या बंदरगाहों पर किसी अन्य देश की पनडुब्बी या युद्धपोत का नजर आना अंतरराष्टीय स्तर पर की जाने वाली सामान्य गतिविधि का हिस्सा है। इससे पहले 2010 तक श्रीलंका के कोलंबो तट पर दुनिया के कई देशों के 230 युद्धपोत र्इंधन भरने के लिए, खाने-पीने के लिए और गुडविड विजिट के लिए रूकते रहे हैं। लेकिन भारत इस तरह की गतिविधि को उसकी सुरक्षा और अखंडता को गहरा आघात पहुंचता है।

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