शुक्रवार, 19 दिसंबर 2014

ऐसे पुख्ता होगी भारत के सैन्य-सुरक्षा प्रतिष्ठानों की सुरक्षा!

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली
देश में अगले महीने 26 जनवरी का आयोजन करीब है और इससे पहले पाकिस्तान और आॅस्टेलिया जैसे देशों में एक के बाद एक हुए आतंकी-फिदायीन हमलों ने भारत की भी नींद उड़ा दी है। सुरक्षा एजेंसियों को ज्यादा चिंता इस बात को लेकर भी है कि 26 जनवरी को इस बार गणतंत्र दिवस परेड समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर अमेरिकी राष्टपति बराक ओबामा भारत के मेहमान होंगे। बावजूद सुरक्षा एजेंसियां पहले से हाई-अलर्ट पर हैं और किसी भी तरह की घटना से निपटने को पूरी तरह से तैयार हैं। इन सबके बीच एक बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या भारत के सैन्य-सुरक्षा प्रतिष्ठान आतंकियों हमलों को लेकर महफूज हैं? इसका शत-प्रतिशत हां में जवाब नहीं हो सकता लेकिन कुछ सटीक सुरक्षात्मक उपायों को अपनाकर इस तरह के हमलों के वक्त उनसे होने वाले नुकसान के दायरे को कम किया जा सकता है।
ये हैं वो जरूरी सुरक्षात्मक उपाय
रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने हरिभूमि को बताया कि दुनिया में बढ़ रही आतंकी हमलों की घटनाआें से सबक लेकर भारत अपने सैन्यसुरक्षा प्रतिष्ठानों की इन उपायों के जरिए सुरक्षा कर सकता है। इसमें सबसे पहले इस तरह के हमले के वक्त क्विक रिएक्शन टीमों का गठन किया जाना चाहिए जिनमें मेडिकल स्टाफ से लेकर मनोचिकित्सक, वार्ताकार समेत बंधक संकट (होस्टेज क्राइसेस) को दूर करने जैसे मामलों से निपटने वाले विशेषज्ञ होने चाहिए। दूसरा महत्वपूर्ण कार्य देश में चल रही सोशल नेटवर्किंग साइट्स जिनमें फेसबुक और ट्विटर पर चल रहे खातों की लगातार निगरानी की जानी चाहिए। हाल में कई देशों में हुए आतंकी हमलों के पीछे यही संचार माध्यम मुख्य प्रेरणास्रोत के रूप में उभरकर सामने आए हैं। भारत के कुछ राज्यों से सोशल मीडिया के जरिए युवाआें ने भी कुख्यात अंतरराष्टीय आतंकी संगठनों की राह पकड़ी है। इसके अलावा मोबाइल फोन की ट्रेसिंग की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए। इसमें सबसे पहले संदिग्ध लगने वाले मोबाइल या लैंडलाइन नंबरों की ट्रेसिंग होनी चाहिए जिससे किसी अनहोनी को रोकने में काफी मदद मिलेगी।
रक्षा मंत्री का बयान
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पाक-आस्ट्रेलिया आतंकी हमलों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जिन जगहों पर यह घटनाएं हुई हैं, उनके हालात भारत से काफी अलग हैं। लेकिन फिर भी हमें विश्वास है कि हम इस तरह की किसी भी घटनाआें से निपट सकते हैं।
हमले पूरी तरह से रूकना नामुमकिन
भारत अपने पश्चिमी से लेकर पूवी मोर्चे पर लंबे समय से आतंकवाद से प्रभावित रहा है और आज भी इससे जूझ रहा है। लेकिन पड़ोसी पाक और आॅस्टेलिया में हुए हमले हमारी चिंता बढ़ाते जरूर हैं। इनसे निपटने के लिए पूर्व में सुरक्षा तैयारियां की जा सकती हैं, जिनसे इनसे होने वाले नुकसान को कम किया जा सके। इन हमलों पर पूरी तरह से रोक पाना नामुमकिन है। पाक में आर्मी स्कूल में हुए आतंकी हमले 124 छात्रों समेत 126 लोगों की मौत हुई है और आॅस्ट्रेलिया में कई निर्दोंष लोग मारे गए।

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