रविवार, 18 जनवरी 2015

बच्चों में नैतिक शिक्षा के साथ चरित्र निर्माण जरूरी: प्रो.देशपांडे

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से जल्द ही देश के सामने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का खाका पेश किया जाने वाला है। सरकार चाहती है कि इससे पहले वो बदलावों को लेकर जरूरी कवायद पूरी कर लें। इसी संदर्भ में यहां सोमवार को राजधानी के फिक्की सभागार में भारत के युगदृष्टा स्वामी विवेकानंद के शिक्षा सिद्धांतों पर ‘स्वामी विवेकानंद एंड एजूकेशन-एम्पावरिंग टीचर्स एजूकेशन’ नामक एक मॉड्यूल जारी किया गया। इसमें स्वामी विवेकानंद के स्कूली शिक्षा में बच्चों को नैतिक शिक्षा के साथ उनके चरित्र निर्माण पर जोर देने के कथन को वर्तमान में स्कूली शिक्षा से जोड़ने पर जोर दिया गया। एचआरडी मंत्रालय ने इस मॉड्यूल के जरिए स्वामी विवेकानंद के शिक्षा संबंधी सिद्धांतों को अपनाने की स्वीकृति भी कार्यक्रम में दी। स्वामी विवेकानंद के बाद रवींद्रनाथ टैगोर, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, संत कबीर, पंडित मदन मोहन मालवीय, महात्मा गांधी पर भी इस तरह के मॉड्यूल्स जारी किए जाएंगे।

स्कूली शिक्षा संग चरित्र निर्माण जरूरी
इस अवसर पर कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद स्वामी विवेकानंद सार्धसत्ती समारोह समिति के राष्टÑीय सचिव प्रो.अनिरूद्ध देशपांडे ने कहा कि आज स्कूली शिक्षा में सबसे जरूरी चीज जो शामिल की जानी चाहिए वो नैतिक मूल्यों की शिक्षा के साथ बच्चों का चरित्र निर्माण करना है। हमारा उद्देश्य शिक्षा को व्यावसायिक उपयोगिता से हटाकर बच्चों में ऐसी क्षमता विकसित करना है, जिससे वो ये जान सके कि उनकी क्या पसंद है और वो वास्तव में करना क्या चाहते हैं। तकनीक के साथ चरित्र निर्माण के सिद्धांतों पर भी हमारा जोर होना चाहिए।

प्रो.देशपांडे ने स्वामी विवेकानंद के एक प्राचीन कथन का जिक्र किया जिसमें स्वामी जी कहते थे कि महिला सशक्तिकरण की कोई आवश्यकता नहीं है। महिला पहले से ही सक्षम, सामर्थवान होती है। बस जरूरत इस बात की है कि उन्हें आगे बढ़ने का अवसर दिया जाए और ऐसे तमाम उदाहरण हमारे सामने मौजूद हैं जहां महिलाआें को मौका मिलने पर उन्होंने कितनी ऊंची उड़ान भरी है। अपने संबोधन में उन्होंने भगवतगीता से लेकर संस्कृत, गणित के जनक भारतवर्ष का कई बार जिक्र करते हुए इन्हें बच्चों के लिए जरूरी बताया।

छह भागों में होगा विवेकानंद मॉड्यूल
राष्‍ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के अध्यक्ष प्रो.संतोष पांडा ने कहा कि 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की 152 वीं जयंती और राष्ट्रीय युवा दिवस के मौके पर इस मॉड्यूल को जारी करने से अच्छा कोई और अवसर हो ही नहीं सकता। विवेकानंद पर हमने 6 मॉड्यूल्स तैयार किए हैं। हर भाग में उनके शिक्षा संबंधी सिद्धांतों को विस्तार से युवा पीढ़ी और शिक्षकों के लिए उपयोगी रूप में तैयार किया है। जल्द ही एनसीटीई टीचर एजूकेशन पर नए पाठ्यक्रम के लिए भी कार्यशालाएं आयोजित करेगी।

टीचर्स एजूकेशन पाठ्यक्र में बदलाव
एचआरडी मंत्रालय में नवनियुक्त स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव वृंदा स्वरूप ने कहा कि मंत्रालय टीचर्स एजूकेशन से संबंधित पाठ्यक्रम में बदलाव कर रहा है, जिससे हमें अच्छे अध्यापक मिल सकेंगे। उन्होंने कहा शिक्षा सूचना तक पहुंच का जरिया न बनकर रह जाए बल्कि इससे हमारी कोशिश है कि हम बच्चों के पूर्ण व्यक्तित्व का विकास करें। उन्होंने कार्यक्रम में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के वायरल संक्रमण की वजह से उपस्थित न होने पर खेद भी व्यक्त किया।

युवा शिक्षकों को शिक्षित करेगा मॉड्यूल
प्रो.के.पी.पांडे ने कहा कि इस मॉड्यूल को तैयार करने की जिम्मेदारी हमें एनसीटीई ने सौंपी थी। जिसमें हमने स्वामी जी के शिक्षा से जुड़े विचारों की खासकर युवा शिक्षकों के लिए वर्तमान परिस्थितियों में प्रासांगिक्ता को ध्यान में रखकर तैयार किया है। इसमें हमने कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद केंद्र की काफी मदद ली है।

कार्यक्रम राजधानी दिल्ली के कई स्कूलों के छात्र-छात्राएं, शिक्षक, शिक्षाविदें, थिंकर्स समेत एचआरडी मंत्रालय के संयुक्त सचिव (स्कूली शिक्षा और साक्षरता) जॉहने आलम, एनसीटीई के सदस्य सचिव जुगलाल सिंह और एनसीटीई-एचआरडी मंत्रालय के अधिकारियों ने शिरकत की।

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