शनिवार, 24 जनवरी 2015

ओबामा से पहले मंगलवार को दिल्ली पहुंचेंगे रूसी रक्षा मंत्री

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

भारत की अमेरिका से बढ़ रही नजदीकियां अब जगजाहिर हो चुकी हैं। ऐसे में सामरिक मामलों में भारत के दशकों पुराने बेहद भरोसेमंद साझीदार रूस का चिंतित होना स्वभाविक है। यहां हम बात रूस के रक्षा मंत्री सर्जेई सोइगु के मंगलवार से शुरू हो रहे भारत के तीन दिवसीय दौरे की कर रहे हैं। 20 जनवरी को दिल्ली पहुंचने के बाद रूसी रक्षा मंत्री अगले दिन 21 जनवरी को यहां साउथ ब्लॉक स्थित अपने भारतीय समकक्ष यानि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात में बैठक कक्ष में रूसी रक्षा मंत्री के साथ आने वाला प्रतिनिधिमंडल रक्षा मंत्री पर्रिकर के अलावा थलसेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग, वायुसेनाध्यक्ष एयरचीफ मार्शल अरुप राहा, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर.के.धोवन, रक्षा सचिव आर.के.माथुर समेत मंत्रालय के तमाम वरिष्ठ अधिकारियों से भी मुखातिब होगा।

ओबामा से पहले दिल्ली पहुंचेंगे रूसी मंत्री
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया को रूसी रक्षा मंत्री सोइगु का ऐसे समय पर भारत दौरे पर आना जब अमेरिकी राष्टÑपति बराक ओबामा पहले ही 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करने जा रहे हैं अचरज जरूर पैदा करता है। हालांकि अधिकारी यह भी कह रहे हैं कि इसके लिए कार्यक्रम की रूपरेखा शायद पहले से तैयार भी हो सकती है।

प्राथमिक्ता में रहेगा एफजीएफए
रूसी रक्षा मंत्री की भारत यात्रा के एजेंडे में रक्षा मंत्री पर्रिकर से होने वाली बातचीत में पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों (एफजीएफए) के निर्माण का सौदा प्रमुख हो सकता है। इस सौदे को लेकर भारत और रूस के बीच विमानों के डिजाइन और बढ़ी हुई कीमत को लेकर पेंच फंसा हुआ है, जिसपर उम्मीद की जा रही है कि रूसी रक्षा मंत्री की यात्रा के दौरान कोई अंतिम सहमति बन जाए। ब्रह्ममोस परियोजना की सफलता के बाद वर्ष 2007 में भारत और रूस ने संयुक्त रूप से इस परियोजना पर शोध करने और इस श्रेणी के विमानों को विकसित करने के लिए आपसी सहमति जताई थी। अभी इस कार्यक्रम की कीमत लगभग 30 बिलियन डॉलर के करीब आंकी जा रही है। विमानों का उत्पादन रूस की सुखोई कॉरपोरेशन और यहां भारत में एचएएल में किया जाना है। बीते 8 वर्षों के दौरान प्रोजेक्ट की कीमत बढ़ने को लेकर भारत की चिंता बनी हुई है।

शिथिल पड़ रहे संबंध
रूस के साथ वर्तमान दौर में शिथिल पड़ रहे भारत के सैन्य-सामरिक संबंधों से रूस में मची खलबली की स्पष्ट झलक देखने को मिल रही है। इसकी बानगी बीते वर्ष दिसंबर महीने में रूसी राष्टÑपति ब्लादिमीर पुतिन के भारत-रूस के बीच 15वीं द्विपक्षीय शिखरवार्ता के दौरान तुरंत-फुरंत में की गई वतन वापसी से मिलती है। उससे एक महीने पहले यानि नवंबर 2014 में रूसी रक्षा मंत्री सर्जेई सोइगु ने पाकिस्तान का दौरा भी किया था और उसके साथ भी जरूरी रक्षात्मक उपकरणों की खरीद को लेकर चर्चा की। यह बीते 45 वर्षों में पहला ऐसा मौका था जब किसी रूसी रक्षा मंत्री ने पाकिस्तानका दौरा किया हो। मीडिया में इस तरह की खबरें भी थी कि रूस पाक को एमआई-35 हेलिकॉप्टर बेचने का इच्छुक है और पाक ने इसके लिए रूस से करीब 20 हेलिकॉप्टरों की खरीद की इच्छा जताई है।

पुणे जाएंगे रूसी रक्षा मंत्री?
इस बात की भी संभावना है कि रूसी रक्षा मंत्री या उनके प्रतिनिधिमंडल में शामिल अधिकारी वायुसेना के पुणे स्थित सुखोई-30 एमकेआई विमानों के बेस रिपेअर डिपो (बीआरडी) का दौरा भी कर सकते हैं। यह वही डिपो है जहां कुछ महीने पहले दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद रूस में निर्मित सुखोई-30 विमानों की जांच-पड़ताल का काम चल रहा है। हादसे के बाद भी कई बार रूसी अधिकारियों ने इस जगह का दौरा किया है।

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