सोमवार, 5 जनवरी 2015

हादसों से घिरा रहा वायुसेना के लिए बीतता साल!

कविता जोशी.नई दिल्ली

साल 2014 तेजी से अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। समापन से पहले सशस्त्र सेनाआें के महत्वपूर्ण अंग वायुसेना की साल भर की चुनौतियों-उपलब्यिों पर चर्चा करें तो इसमें ज्यादातर वक्त हादसों के बीच बीता। साल भर एक के बाद एक वायुसेना के लड़ाकू से लेकर परिवहन विमान और हेलिकॉप्टर दुर्घटना का शिकार होते रहे। इसके बाद अंत में रही-सही कसर रक्षा मामलों पर संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट ने निकाल दी। इसमें वायुसेना के लड़ाकू विमानों की स्क्वाड्रन की संख्या 34 से घटाकर 25 बताई गई।

साल 2014 में हुए प्रमुख हादसे
बीते वर्ष 2014 की शुरूआत में मार्च महीने में वायुसेना का विशालकाय विशेष परिवहन विमान सी-130जे ग्वालियर के पास हादसे का शिकार हुआ जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई। इसके बाद मई महीने में वायुसेना का लड़ाकू विमान मिग-21 (बायसन) जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में दुर्घटनाग्रस्त हुआ। इसमें पायलट की मौत हो गई थी। जुलाई में वायुसेना का एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर (एएलएच) उत्तर-प्रदेश के सीतापुर में हादसे का शिकार हुआ। यह दुर्घटना इतनी भयानक थी कि हेलिकॉप्टर में सवार सभी 7 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद 14 अक्टूबर को वायुसेना का अग्रणी पंक्ति का लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई पुणे के पास दुर्घटनाग्रस्त हुआ जिसमें सवार दोनों पायलट सुरक्षित बाहर निकल आए। इन हादसों जांच वायुसेना कर रही है।

चौबीसों घंटे चलाया राहत अभियान
जम्मू-कश्मीर में सितंबर महीने में आई विनाशकारी बाढ़ में वायुसेना ने युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव कार्य चलाया। बाढ़ के दौरान जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाने, मुश्किल में फंसे लोगों को निकालने से लेकर वायुसेना के परिवहन विमानों से लेकर हेलिकॉप्टर दिन-रात राहत और बचाव कार्य में जुटे रहे। वायुसेना के इन प्रयासों की वजह से कई इलाकों में अलगाववादियों ने इनका विरोध भी किया लेकिन वो कामयाब नहीं हो सके। वायुसेना के विमान राहत एवं बचाव सामग्री से लेकर मुसीबत में फंसे लोगों को बचाते हुए नजर आए।

विदेशी दौरे और संयुक्त युद्धाभ्‍यास 
साल 2014 में वायुसेनाध्यक्ष एयरचीफ मार्शल ने बीते वर्ष जहां आस्ट्रेलिया, जापान, वियतनाम, मलेशिया, ब्रिटेन जैसे देशों की यात्रा की और वहां उनके वायुसेना-प्रमुखों और राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात कर सामरिक सुरक्षा से जुड़े विभिन्न मसलों पर चर्चा की। इसके अलावा साल 2014 में वायुसेना ने रूसी वायुसेना के साथ मिलकर संयुक्त युद्धाभ्‍यास एवीआई-इंद्रा और फ्रांस की वायुसेना के साथ गरुड़ अभ्‍यास किया।

लड़ाकू विमानों की 25 स्क्वाड्रन   
रक्षा मामलों की संसदीय समिति द्वारा हालिया सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में कहा गया कि वायुसेना का लड़ाकू विमानों का बेड़ा 25 है। इसके विपरीत वायुसेना का कहना था कि उसके पास लड़ाकू विमानों की 34 स्क्वाड्रन हैं। वायुसेना ने इस मसले की गंभीरता को देखते हुए अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनकी ओर से 34 स्क्वाड्रन का लिखित जवाब ही समिति को भेजा गया था। यह उनकी ओर से ही की गई गलती है।

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