हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली
भारत और रूस के बीच संयुक्त रूप से बनाए जाने वाले पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों (एफजीएफए) के निर्माण और उत्पादन को लेकर बीते लगभग चार वर्षों से हो रही देरी का मामला भविष्य में तेजी से आगे बढ़ सकता है, जिसके बाद दोनों देशों जल्द ही विमानों के डिजाइन को लेकर अंतिम सहमति बनाने की दिशा में अग्रसर होंगे। इसके संकेत यहां बुधवार को भारत और रूस के रक्षा मंत्रियों के बीच हुई मुलाकात के बाद मिले। इसकी पुष्टि एनसीसी के एक कार्यक्रम से इतर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पत्रकारों को दिए सवालों के जवाब में की।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि मेरी रूसी रक्षा मंत्री सर्जेई सोइगु के साथ हुई मुलाकात काफी सार्थक रही। इसमें जिन परियोजनाओं में देरी हो रही है के मामले में दोनों पक्ष मिलकर निगरानी करेंगे और उन तमाम बारीकियों को समझने की कोशिश करेंगे जिससे जरूरी निदान निकाला जा सके। यहां बता दे कि दोनों देशों के बीच एफजीएफए परियोजना के अंतिम डिजाइन को लेकर वर्ष 2012 में अंतिम सहमति बननी थी। लेकिन इसके बाद से लेकर अब तक इस मसले पर कोई आमराय नहीं बन पाई है। वर्ष 2010 में इन विमानों के निर्माण को लेकर प्राथमिक डिजाइन के मसौदे पर भारत की एचएएल और रूस की सुखाई डिजाइन ब्यूरो के बीच सहमति बन गई थी। भारत करीब 30 बिलियन डॉलर की राशि खर्च करके इस परियोजना के जरिए करीब 200 लड़ाकू विमानों का निर्माण करना चाहता है।
रक्षा मंत्री ने 26 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति के आगमन से पहले बड़ी आतंकी वारदात के अंदेशे को स्वीकारते हुए कहा कि ध्यान बांटने के लिए आतंकी किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं। लेकिन हम किसी भी वारदात या हमले से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारी सीमाएं पूरी तरह से महफूज और सुरक्षित हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के आगमन को लेकर सुरक्षा व्यवस्था में हम अतिरिक्त एहतियात बरत रहे हैं। दोनों पक्षों के बीच हुई बैठक में भारत की ओर से रूसी कंपनियों को मेक इन इंडिया अभियान के जरिए देश में निवेश करने की अपील की गई। डीआरडीओ प्रमुख के तौर पर किसी युवा वैज्ञानिक की नियुक्ति पर रक्षा मंत्री ने पुन: जोर दिया।
भारत और रूस के बीच संयुक्त रूप से बनाए जाने वाले पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों (एफजीएफए) के निर्माण और उत्पादन को लेकर बीते लगभग चार वर्षों से हो रही देरी का मामला भविष्य में तेजी से आगे बढ़ सकता है, जिसके बाद दोनों देशों जल्द ही विमानों के डिजाइन को लेकर अंतिम सहमति बनाने की दिशा में अग्रसर होंगे। इसके संकेत यहां बुधवार को भारत और रूस के रक्षा मंत्रियों के बीच हुई मुलाकात के बाद मिले। इसकी पुष्टि एनसीसी के एक कार्यक्रम से इतर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पत्रकारों को दिए सवालों के जवाब में की।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि मेरी रूसी रक्षा मंत्री सर्जेई सोइगु के साथ हुई मुलाकात काफी सार्थक रही। इसमें जिन परियोजनाओं में देरी हो रही है के मामले में दोनों पक्ष मिलकर निगरानी करेंगे और उन तमाम बारीकियों को समझने की कोशिश करेंगे जिससे जरूरी निदान निकाला जा सके। यहां बता दे कि दोनों देशों के बीच एफजीएफए परियोजना के अंतिम डिजाइन को लेकर वर्ष 2012 में अंतिम सहमति बननी थी। लेकिन इसके बाद से लेकर अब तक इस मसले पर कोई आमराय नहीं बन पाई है। वर्ष 2010 में इन विमानों के निर्माण को लेकर प्राथमिक डिजाइन के मसौदे पर भारत की एचएएल और रूस की सुखाई डिजाइन ब्यूरो के बीच सहमति बन गई थी। भारत करीब 30 बिलियन डॉलर की राशि खर्च करके इस परियोजना के जरिए करीब 200 लड़ाकू विमानों का निर्माण करना चाहता है।
रक्षा मंत्री ने 26 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति के आगमन से पहले बड़ी आतंकी वारदात के अंदेशे को स्वीकारते हुए कहा कि ध्यान बांटने के लिए आतंकी किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं। लेकिन हम किसी भी वारदात या हमले से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारी सीमाएं पूरी तरह से महफूज और सुरक्षित हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के आगमन को लेकर सुरक्षा व्यवस्था में हम अतिरिक्त एहतियात बरत रहे हैं। दोनों पक्षों के बीच हुई बैठक में भारत की ओर से रूसी कंपनियों को मेक इन इंडिया अभियान के जरिए देश में निवेश करने की अपील की गई। डीआरडीओ प्रमुख के तौर पर किसी युवा वैज्ञानिक की नियुक्ति पर रक्षा मंत्री ने पुन: जोर दिया।
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