शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

दित्तीय विश्व युद्ध की 70वीं वर्षगांठ पर चीन करेगा प्रचंड शक्ति प्रदर्शन!

कविता जोशी.नई दिल्ली

दुनिया के भू-राजनैतिक परिदृश्य में वर्ष 2015 एक बड़े बदलाव की दस्तक दर्ज कराता हुआ नजर आ रहा है। भारत, दुनिया के समक्ष एक बड़े बाजार के रूप में उभर रहा है, जिससे पड़ोसी प्रतिद्वंदी चीन समेत बाकी देशों में भी हलचल तेज हो गई है। इसी कड़ी में पड़ोसी ड्रैगन आगामी 1 सितंबर को दुनिया के सामने अपनी प्रचंड सैन्य शाक्ति का खुला प्रदर्शन करने वाला है। मौका होगा 1 सितंबर को द्वितीय विश्व युद्ध की 70 वीं वर्षगांठ का। इसमें चीन पूरे लाव-लशकर के साथ दुनिया को अपनी सैन्य ताकत का प्रत्यक्ष साक्षात्कार कराएगा। प्रदर्शन में रूस और पाकिस्तान जैसे देशों से कद्दावर मेहमान भी शिरकत करेंगे।

रूस-पाक होंगे विदेशी मेहमान
चीन के इस विशाल सैन्य प्रदर्शन को लेकर रक्षा मंत्रालय के विश्वसनीय सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि चीन द्वारा अपनी सैन्य ताकत का इस पैमाने पर प्रदर्शन हर दस साल में किया जाता है। लेकिन उसमें किसी दूसरे देश के प्रमुखों या सैन्य-प्रमुखों को आमंत्रित नहीं किया जाता। लेकिन इस बार अपनी प्राचीन परंपरा को तोड़ते हुए 1 सितंबर के चीनी आयोजन में राष्टÑपति ब्लादीमिर पुतिन और पाकिस्तान के सेनाप्रमुख जनरल राहिल शरीफ खास मेहमान के तौर पर शिरकत करने वाले हैं।

बदलते भू-राजनीतिक समीकरण
बीते कुछ समय से भारत के अमेरिका से मुखर होते द्विपक्षीय रिश्तों को लेकर समूचा द.एशिया एक बड़े बदलाव की दहलीज पर खड़ा हो गया है। जहां रूस के साथ भारत के दशकों पुराने मैत्री संबंध शिथिल पड़ रहे हैं। वहीं इसका फायदा उठाने के लिए पाकिस्तान और चीन घात लगाए बैठे हैं। बीते नवंबर महीने में रूसी रक्षा मंत्री की पाकिस्तान यात्रा और पाक को रूस द्वारा सैन्य साजो-सामान देने पर भी रजामंदी बन गई है। चीन तो पाक का पुराना मददगार रहा ही है। अब इस गुट में रूसी दस्तक से मामला ज्यादा रोचक हो गया है। चीन भी बदले परिवेश में अपना नफा-नुकसान का गणित बिठाने में लगा है। मंदी की चपेट में चल रही अमेरिका समेत यूरोपीय अर्थव्यस्थाएं चीनी माल खरीदने को तैयार नहीं है तो रूस के रूप में उसे एक नए और मजबूत
साझीदार की महक आ रही है।

अमेरिका को मिलकर घेरेंगे रूस-चीन
रूसी राष्ट्रपति का चीन का दौरा अपने आप में इतिहास में यादगार क्षण से कम नहीं होगा। एक ओर रूस की चीन से नजदीकी भारत की आंख में किरकिरी बनेगी तो वहीं इससे चीन द.एशिया में अमेरिका के बढ़ते दखल और बदलते शक्ति संतुलन के बीच अपनी मजबूत पकड़ बने रहने का दंभ भरेगा। दूसरे शब्दों में कहे तो इससे रूस और चीन मिलकर अमेरिका के द.एशिया में तेजी से परवाज भरते हौसलों की उड़ान को धीमा करने में कारगर साबित हो सकते हैं।

द्वितीय विश्व युद्ध का इतिहास 
द्वितीय विश्व युद्ध की शुरूआत 1 सितंबर 1939 को हुई और इसका समापन 2 सितंबर 1945 को हुआ। इस तरह यह युद्ध करीब 6 साल 1 दिन चला। इसके प्रभाव में यूरोप, उत्तर-दक्षिणी अमेरिका समेत दक्षिण एशिया भी आया। इसके समापन के बाद दुनिया के मानचित्र पर एक अलग तरह की परिस्थिति उभरी। एक ओर जापान-इटली के साम्राज्यों का अंत हुआ तो दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र का उदभव होने के अलावा दुनिया में शीत युद्ध का आगाज हुआ।

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