शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

भूमि-अधिग्रहण पर एचआरडी की किताब बढ़ाएगी जागरूकता

कविता जोशी.नई दिल्ली

भूमि-अधिग्रहण कानून में बदलाव को लेकर देश में लंबे समय से बहस चल रही है। कानून में कुछ बदलाव पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में किए गए और कुछ मौजूदा सरकार ने किए हैं। लेकिन इस मामले पर आज भी लोगों में जागरूकता का अभाव देखने को मिलता है, जिसकी वजह से कई बार विकास कार्यों की रफ्तार अचानक विरोध का रूख धारण कर लेती है। इन जटिलताओं के बीच केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक बीच का रास्ता निकाला है, जिसमें अब वो इस मुद्दे पर एक किताब प्रकाशित करने जा रहा है। इसमें भूमि-अधिग्रहण से जुड़े हर छोटे-बड़े पहलू के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। जल्द ही यह पुस्तक तैयार हो जाएगी और उसके बाद उसका वितरण देश के अलग-अलग भागों में किया जाएगा। मंत्रालय का तर्क है कि इस किताब के माध्यम से सरकार लोगों को भूमि-अधिग्रहण के मामले को समझने में मदद करना चाहती है। अभी इस किताब को हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है।

एचआरडी मंत्रालय में संयुक्त सचिव और डीजी (एनएलएमए) वाई.एस.के शेषु कुमार ने हरिभूमि को बताया कि हम विभिन्न मंत्रालयों के साथ मिलकर करीब 12 विषयों पर किताबें तैयार करा रहे हैं। इसमें भूमि अधिग्रहण से लेकर कन्या भ्रूण हत्या, कानूनी साक्षरता, वित्तीय शिक्षा, घरेलू हिंसा, शिक्षा का अधिकार, दहेज जैसे विषय शामिल हैं। इन किताबों को एक-एक देश के अलग-अलग भागों में वितरित किया जाएगा जिससे आम लोगों में इन मसलों को जागरूकता पैदा की जा सके। उन्होंने कहा कि एचआरडी मंत्रालय अधिकारिता विभाग के साथ मिलकर भूमि -अधिग्रहण के मामले पर किताब तैयार कर रहा है।

गौरतलब है कि अभी भूमि-अधिग्रहण कानून राज्यसभा में विचाराधीन है जहां बिल पर विचार-विमर्श किया जाना बाकी है। एक बार राज्यसभा से पास हो जाने के बाद ही इसे लोकसभा की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। सरकार की संसदीय प्रक्रिया से पहले चाहती है कि इस मुद्दे पर आम जन के बीच एक समझ पैदा की जाए या कहें कि लोगों को जागरूक किया जाए। इस जागरूकता के जरिए जब यह विधेयक कानून का रूप लेगा तो इसे आसानी से समझ सकेंगे।

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