रविवार, 22 मार्च 2015

बलात्कार जैसे संगीन अपराध में नहीं घटेगी नाबालिग की उम्र

कविता जोशी.नई दिल्ली

साल 2012 में देश की राजधानी में हुए निर्भया बलात्कार मामले के बाद चारों ओर से इस इस तरह के कुकृत्य में शामिल नाबालिग किशारों की उम्र 18 वर्ष से घटाकर 16 करने को लेकर संसद की महिला एवं बाल बाल विकास संबंधी मामलों की संसदीय समिति ने विराम लगा दिया है। समिति ने हाल ही में केंद्र सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि किशारों की उम्र को घटाने का कोई सवाल ही नहीं उठता। ऐसा करने से इस तरह के अपराधों पर पूरी तरह से रोक नहीं लगेगी। अब समिति की सिफारिशों के मसौदे को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने विभिन्न संबंधित मंत्रालयों को सुझाव देने के लिए भेज दिया है। यह जानकारी यहां महिला प्रेस क्लब में बीते 8 मार्च को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी ने महिला
पत्रकारों से बातचीत में दी।

आरोपियों को मिलेंगे दो मौके
केंद्रीय मंत्री ने संसदीय समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि उसके मुताबिक बलात्कार जैसे जघन्य अपराध में संलिप्त किशोर की आयु 18 वर्ष से घटाकर 16 वर्ष करना समस्या का समाधान नहीं है। समिति ने अपने 71 पृष्ठों के दस्तावेजों में कहा है कि बलात्कार के आरोप में पकड़े गए 16 वर्षीय किशोर को दो मौके दिए जाने चाहिए। पहला अपराध करते हुए उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की समिति के समक्ष पेश किया जाए जिसमें डॉक्टर, मनोचिकित्सक, जज और सामाजिक कार्यकर्त्ता मौजूद होंगे। वो किशोर से प्रश्न करेंगे और उसकी मानसिक स्थिति का समझने की कोशिश करेंगे। इसके बाद उसे बाल सुधार गृह भेज दिया जाएगा। इसके बाद जब वो 21 साल का होगा तो फिर से यही समिति से उससे दुबारा पड़ताल करेगी। अगर इस पड़ताल में उसका व्यवहार, मानसिक स्थिति ठीक रही तो उसे रिहा कर दिया जाएगा। लेकिन अगर उसकी स्थिति संदेहास्पद लगी तो उसे जेल भेजा जाएगा।

मौजूद सत्र में आएगा विधेयक
बलात्कार जैसे मामलों में पकड़े गए किशारों को लेकर मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए संशोधनों के प्रस्ताव को सभी संबंधित मंत्रालयों से उनके सुझाव मंगाने के लिए भेज दिया गया है। केंद्रीय मंत्री का कहना है कि जल्द ही उन्हें अन्य विभागों की राय भी मिल जाएगी। इसके बाद वो इस संशोधित विधेयक को संसद के मौजूदा बजट सत्र में ही संसद की मंजूरी के पेश करेंगी।

इस आयु सीमा में कम हैं मामले
देश में बलात्कार के मामलों में किशारों की भागादारी का आंकड़ा मात्र 1.2 फीसदी है। अपराधियों से जुड़ा बाकी आंकड़ा इससे अधिक उम्र वालों का है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि मात्र 1.2 फीसदी के लिए कानून में बदलाव करना उचित नहीं है। गौरतलब है कि अमेरिका जैसे विकसित देश में भी बलात्कार के मामलों में आरोपी किशोरों को एक बार 12 साल की आयु में और दोबारा 14 वर्ष का होने पर दोबारा पूछताछ की जाती है।

एनजीओ की राय
इस तरह के मामलों पर काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों की अपनी राय में तीन मुख्य बातें कही हैं। कुछ का कहना है कि बलात्कार के आरोप में शामिल किशोरों को युवा मानकर सजा देनी चाहिए, कुछ संगठनों का कहना है कि माफ कर देना चाहिए जबकि कुछ कहते हैं कि कैटेगिरी बनाकर मामले की पड़ताल की जानी चाहिए।

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