मंगलवार, 17 मार्च 2015

विभाजन के बाद पाकिस्तान को मिले तीन विक्टोरिया क्रॉस

कविता जोशी.नई दिल्ली

भारत के निकटतम प्रतिद्वंदी और शत्रु राष्टÑ पाकिस्तान की सेना ने क्या कभी भारतीय सेना के साथ कं धे से कंधा मिलाकर जंग लड़ी थी। सवाल कुछ अजीबो-गरीब सा जरूर जान पड़ता है। लेकिन गलत नहीं है। करीब 100 वर्ष पहले प्रथम विश्वयुद्ध (1914-18) के दौरान ऐसा हुआ था। जब करीब 1.5 मिलियन की स्वैच्छिक भारतीय सेना ब्रिटिश साम्राज्य की आन-बान-शान बचाने के लिए दुनिया के अलग-अलग इलाकों में लड़ी थी। इस 1.5 मिलियन में तत्कालीन भारत और अब के पाकिस्तान दोनों के रणबांकुरों ने अपना सर्वस्व न्यौच्छावर किया था।

तीन विक्टोरिया क्रॉस गए पाकिस्तान
यहां राजधानी में मौजूद थलसेना के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि प्रथम विश्व युद्ध में आमने-सामने की लड़ाई में शत्रु को दिखाई बहादुरी के लिए 11 भारतीय सैनिकों को उस समय सर्वोच्च सैन्य अलंकरण विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया। इनमें से 3 विक्टोरिया क्रॉस विभाजन के बाद पाकिस्तान
चले गए। इनमें 129 वां ड्यूक आॅफ कनॉट्स आॅन बलूचिस के खुदादाद खान (1914 प्रथम विश्व युद्ध), 81 वीं पंजाबी 1916 प्रथम विश्व युद्ध के शाहमाद खान और 55 वीं कोक राइफल्स के मीर दस्त को मिला विक्टोरिया क्रॉस शामिल है। इन तीनों ने बेल्जियम (होलेबेके, विल्टजे), मेसोपोटामिया में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान लड़ाईयां लड़ी। 11 में से 2 विक्टोरिया क्रॉस नेपाल चले गए। जिनमें एक 4 प्रिंस आॅफ वेल्स आॅन गोरखा राइफल्स के कुलबीर थापा और 4 प्रिंस आॅफ वेल्स आॅन गोरखा राइफल्स के करण बहादुर राणा को मिला था। युद्ध में शामिल 9 वीं भोपाल 17 पंजाब के रूप में पाकिस्तान चली गई।

सोमवार से भारत में आयोजन शुरू
भारत में आगामी सप्ताह में सोमवार से प्रथम विश्व युद्ध के शताब्दी समारोहों की शुरूआत होगी। 9 मार्च को राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रंद्धाजलि देंगे। इस अवसर पर इंडिया गेट पर फ्रांस के सेनाप्रमुख सहित बेल्जियम, ब्रिटेन, इटली, आॅस्ट्रेलिया, जर्मनी, पाकिस्तान, अफगानिस्तान (उच्चायुक्त), बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान, नेपाल के राजदूत मौजूद रहेंगे। प्रथम विश्व युद्ध में भारत की ओर से कुल 1.5 मिलियन सैनिक भेजे गए। इनमें 74 हजार 362 शहीद हुए। भारत द्वारा ब्रिटेन को दी गई वालंटियर सेना के सैनिकों की संख्या कनाड़ा, आॅस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड तथा दक्षिण-अफ्रीका की ओर से भेजी गई सेनाओं की कुल संख्या के बराबर थी। अंग्रेजों की ओर से लड़ने वाला हर छठा भारतीय उप-महाद्वीप से था।

विक्टोरिया क्रॉस सम्मान
विक्टोरिया क्रॉस प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान आमने-सामने की लड़ाई में शत्रु को दिखाई बहादुरी के लिए भारतीय सैनिकों को दिया जाने वाला सर्वोच्च अलंकरण था। वास्तव में भारतीय सैनिक विक्टोरिया क्रॉस के लिए पात्र नहीं थे। इसके बजाय उन्हें सर्वोच्च अलंकरण के तौर पर ‘इंडियन आॅर्डर आॅफ मेरिट’ का सम्मान दिया जाता था। इसकी स्थापना 1837 में की गई थी। 19 वीं शताब्दी के अंत तक भारतीय सैनिकों को विक्टोरिया क्रॉस प्रदान किए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी थी तथा 1911 में भारतीय सैनिक इस पुरस्कार के लिए पात्र घोषित हो गए।

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