मंगलवार, 17 मार्च 2015

ऐसे तो पटरी पर नहीं दौड़ेगा सेनाओं का आधुनिकरण अभियान

ओआरओपी पर वित्त मंत्री की खामोशी से नाराजगी
कविता जोशी.नई दिल्ली

वित्त मंत्री अरूण जेटली के बजट पिटारे से जब शनिवार को लोकसभा में रक्षा बजट 2 लाख 29 हजार करोड़ रूपए से बढ़ाकर 2 लाख 46 हजार करोड़ रूपए करने की घोषणा की गई तो रक्षा मामलों के जानकारों समेत सेना के सेवानिवृत अधिकारियों ने एक स्वर में कहा कि इतनी धनराशि रक्षा क्षेत्र के लिए पर्याप्त नहीं है। जानकार सेनाओं के सेवानिवृत अधिकारियों और जवानों के लिए की जाने वाली एक रैंक एक पेंशन (ओआरओपी) को लेकर वित्त मंत्री द्वारा पूरे बजट भाषण में कोई एलान ना किए जाने से भी खासे नाराज हैं। यहां बता दें कि अगर ओआरओपी पर सरकार घोषणा करती तो सेनाओं के करीब 25 लाख सेवानिवृत अधिकारियों को फायदा पहुंचता।

रक्षा मामलों के विशेषज्ञ विंग कमांडर (सेवानिवृत) प्रफुल्ल बक्शी ने हरिभूमि से बातचीत में कहा कि रक्षा बजट 2.26 लाख करोड़ से 2.46 करोड़ किया गया है। यह इस क्षेत्र में 7.42 फीसदी का इजाफा है जो कि पर्याप्त नहीं है। जब तक रक्षा बजट हमारे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3 फीसदी नहीं होगा तब तक सेनाओं की आधुनिकीकरण से लेकर चुनौतीपूर्ण युद्धक मोर्चों (पश्चिमी(पाक-चीन से लगी सीमा)-पूर्वी सेक्टर(चीन से लगी सीमा) पर इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से निर्माण और उन्नतिकरण का कार्य पूरा नहीं हो सकता है।

पूर्वोत्तर में रेल-रोड़ का मजबूत ढांचा विकसित करने के अलावा सरकार के सामने पुरानी हवाई पट्टियों क ा अपग्रेडेशन का लक्ष्य सामने खड़ा है। पूर्वोत्तर में चीन से लगी सीमा पर एक नई माउंटेन स्ट्राइक कोर के गठन का कार्य चल रहा है। ऐसे में पानागढ़ (प.बंगाल) से लेकर पश्चिमी सीमा में लेह-लद्दाख तक इंफ्रास्ट्रक्चर की पूरी चेन बनाने के लिए बहुत अधिक धनराशि की आवश्यकता है। भारत की ज्यादातर सैन्य जरूरतें विदेशों से सैन्य उपकरणों आयात करने पर निर्भर है।

इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट (आईईएसएम) के अध्यक्ष मेजर जनरल (सेवानिवृत) सतबीर सिंह ने कहा कि हम वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) को लेकर बेहद आश्वस्त थे। लेकिन वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में ओआरओपी पर एक शब्द भी नहीं कहा। इससे हम हैरान और नाराज दोनों हैं। ओआरओपी को लेकर कुछ दिन पहले जब हमारा प्रतिनिधिमंडल रक्षा मंत्री से मिला जिसमें सेनाप्रमुख जनरल सुहाग भी मौजूद थे। रक्षा मंत्री ने उस वक्त कहा था कि मैं वित्त मंत्री से इस बारे में बात करूंगा कि वो ओआरओपी पर 28 फरवरी के बजट में घोषणा करे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हमारी लड़ाई जारी रहेगी। जहां तक सुरक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने का मसला है यह राशि नाकाफी है। जब तक देश की सुरक्षा चाक-चौबंद नहीं होगी विकास कैसे होगा, दूसरे देश निवेश के लिए कैसे आश्वस्त होंगे। यह महत्वपूर्ण सवाल अब भी बने हुए हैं।

रक्षा-सामरिक मामलों के विशेषज्ञ मेजर जनरल अफसर करीम (सेवानिवृत) ने कहा कि देश की सेनाआें की वर्तमान जरूरतों को पूरा करने के लिए यह बजट नाकाफी है। इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर काम चल सकता है। लेकिन सेनाआें कीआधुनिकीकरण योजना को इस राशि से परवान चढ़ाना मुश्किल है। सैन्य मामलों में जरूरतें पूरा करने के लिए रक्षा बजट को जीडीपी का कम से कम 3 फीसदी से अधिक होना चाहिए। मेक इन इंडिया के जरिए आत्मनिर्भर होने में कम से कम 15 साल का समय लगेगा। ओआरओपी पर कोई घोषणा ना होने से लेकर हमें निराशा हुई हैं।

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