मंगलवार, 17 मार्च 2015

लड़कियों की शिक्षा का स्तर सुधारेगी ‘डिजीटल एटलस’

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

स्कूली शिक्षा में लड़कियों की भागीदारी को दुरूस्त करने के लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने डिजीटल जेंडर एटलस जारी की है। इसमें देश
के हर इलाके में प्राथमिक-माध्यमिक से लेकर उच्च-माध्यमिक स्तर तक लड़कियों की शिक्षा की मौजूद स्थिति का व्यापक विशलेषण दिया गया है। यहां सोमवार को डिजीटल एटलस की विशेषताओं के बारे में बताते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग में सचिव वृंदा स्वरूप ने कहा, इस एटलस में देश के सभी भागों में लड़कियों की स्कूली शिक्षा के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। एटलस राज्य, ब्लॉक, जिला स्तर तक पहुंचकर लड़कियों की शिक्षा के बारे में बारीक आंकड़ें देती है। इसे मंत्रालय ने संयुक्त राष्टÑ बाल कोष (यूनीसेफ) के साथ मिलकर तैयार किया है। मंत्रालय की वेबसाइट पर जेंडर एटलस का लिंक दिया गया है, जिससे कोई भी इसे आसानी से देख सकता है।

यह एटलस लड़कियों की शिक्षा के मामले में देश में कम प्रदर्शन करने वाले इलाकों के बारे में विस्तार से जानकारी देती है। इसमें पिछड़े हुई जाति-जनजातियों और मुस्लिम अल्पसंख्यकों में शिक्षा का लैंगिग स्तर भी दिखाया गया है। इस एटलस का राज्य सर्वशिक्षा अभियान और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान से लेकर अन्य योजनाओं के लिए अपने यहां के चुनौतिपूर्ण इलाकों का चयन करके केंद्र को बजटीय प्रस्ताव बेहतर ढंग से बनाकर भेज सकते हैं। इसके अलावा राज्यों को इसके जरिए लड़कियों की शिक्षा को लेकर सटीक नीति बनाने में मदद मिलेगी।

एचआरडी मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव रीना रे ने कहा कि इस एटलस के डेटा को हम हर साल अपडेट करेंगे। इसमें एक खास फ फीचर यह है कि राज्यों की कैटेगिरी में जहां कोई राज्य अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। वहीं राज्य का विस्तृत विशलेषण करने पर उसके जिला और ब्लॉक स्तर के सूचक अच्छे नहीं हैं। कुछ राज्यों में जिला स्तर पर सूचक अच्छे हैं तो राज्य स्तर पर लड़कियों की शिक्षा की हालत ठीक नहीं है। एटलस को बनाने में यूनीफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉरमेशन सिस्टम फॉर एजूकेशन (यू-डीआईएसई का 2011-14 का डेटा), 2011 की जनगणना और डिस्ट्रिक्ट लेवल हेल्थ सर्वे 2007-08 के आंकड़ों की मदद ली गई है।

एटलस में लड़कियों की शिक्षा के मामले में सबसे खराब हालत नक्सल प्रभावित झारखंड राज्य की है। एटलस बताती है कि झारखंड के कुल 24 जिलों में से 21 जिले लड़कियों की शिक्षा के मामले में पिछड़े हुए हैं। यह 21 जिले ऐसे हैं जहां लड़कियों की शिक्षा पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।

हरियाणा में 4 चुनौतिपूर्ण जिले हैं। छग में 12 और मप्र में 21 चुनौतिपूर्ण जिले हैं, जिनमें लड़कियों की शिक्षा पर ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है। यहां बता दें कि भारत में प्राथमिक और उच्च-प्राथमिक स्तर पर स्कूलों में दाखिले की लड़कियों की नामांकन दर अच्छी है। लेकिन उच्च-माध्यमिक स्तर पर यह कम बन हुई है। स्कूली शिक्षा में आधी आबादी लड़कियों की है। लेकिन उसके बाद भी शैक्षणिक स्तर पर उनकी घट रही भागीदारी पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।

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