शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

अब आसान होगी दूर समुद्र में सामरिक सामग्री की सुरक्षा

कविता जोशी.नई दिल्ली

26 नवंबर 2008 को पाक समर्थित आतंकवादियों द्वारा देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर किए गए आतंकी हमले के बाद देश की समुद्री सुरक्षा को चाक-चौबंद करना केंद्र और समुद्र तटीय राज्य सरकारों की प्राथमिक्ताओं में से एक है। इस घटना के बाद से लेकर आज 7 साल बीत जाने के बाद भारत ने समुद्र तटीय सीमाओं की सुरक्षा के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। इसके अलावा कई महत्वूपर्ण परियोजनाआें को धरातल पर लाने का काम आज भी तेज गति से चल रहा है।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की मामलों की समिति (सीसीएस) ने हाल ही में 80 फास्ट इंटरसेप्शन क्राफट़स (एफआईसी) और 1 हजार सागर प्रहरी बल की नियुक्ति के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इन कुल 80 एफआईसी का निर्माण शलास मैरिन, श्रीलंका द्वारा किया जा रहा है। इसमें से 40 एफआईसी भारत को मिल चुकी हैं और बाकी 40 आनी बाकी है। इस पूरे प्रोजेक्ट की कीमत करीब 264 करोड़ रूपए है, जिसमें से प्रत्येक एफआईसी बोट की कीमत करीब 3.3 करोड़ रूपए बताई जा रही है। गौरतलब है कि भारत के निकटतम प्रतिद्धंदी चीन द्वारा भारत की समुद्री सीमाआें के लगभग हर ओर घेराबंदी की खबरें मीडिया में छाई रहती है। साथ ही चीन की बढ़ती व्यापारिक महत्वकांक्षाएं जगजाहिर हैं। दक्षिण-चीन सागर से लेकर पूर्वी चीन सागर में चीन का विवाद जारी है। ऐसे में इन जगहों से भारत को अपने जरूरी साजो-सामान की निबार्ध आवाजाही बनाने के लिए प्रयास करने पड़ेंगे।

सूत्र ने कहा कि तेल एवं प्राकृतिक गैस लिमिटेड (ओएनजीसी) ने 23 इंटरमीडिएट सपोर्ट वेसल्स (आईएसवी) का आॅर्डर दिया था। इसमें से 14 एसएचएम शिपकेयर, मुंबई ने बनाई हैं। एसएचएम ने 11 क्रॉफट्स नौसेना को सौंप दी हैं और 3 को दिया जाना बाकी है। शेष बचे 9 क्रॉफट्स का निर्माण अबुधाबी शिपबिल्डर्स (एडीएसबी) ने किया है। इनमें से भी 5 क्रॉफट्स एडीएसबी ने खुद बनाई है और 4 का निर्माण रोडनैम्प, स्पेन के साथ उप-संविदा (सब-कॉंट्रेक्ट) के तहत किया गया है। आईएसवी प्रोजेक्ट की कुल कीमत करीब 253 करोड़ रूपए है। एक आईएसवी वेसल की कीमत 11 करोड़ रूपए है। यहां बता दें कि आईएसवी वेसल का काम भारत के समुद्र से दूर मौजूद सामरिक सामग्री की सुरक्षा करना होगा।

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