शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

यूजीसी का छात्र शिकायत निवारण र्पोटल जारी

छात्र जांच सकेंगे शिकायत पर की गई कार्रवाई का स्टेटस
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने सोमवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के छात्र शिकायत निवारण र्पोटल का उद्घघाटन किया और कहा कि यह र्पोटल यूजीसी द्वारा छात्रों की शिकायतों का निपटारा करने के लिए उठाए गए नए कदमों में से एक है। इस र्पोटल की खास बात यह है कि इसके जरिए छात्र-छात्राएं ना केवल अपनी तमाम शिकायतें सीधे इस पर भेज सकते हैं। बल्कि अपनी शिकायत पर रिमांडर और यूजीसी द्वारा उस मामले पर की गई कार्रवाई का स्टेटस भी आॅनलाइन जांच सकते हैं। छात्र इस र्पोटल को डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डाट यूजीसी डाट एनआईसी डाट इन वेबसाइट पर लॉगइन करके देख सकते हैं।
ईरानी ने कहा इस र्पोटल का उद्देश्य दाखिला प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना है। इसके अलावा र्पोटल के जरिए उच्च-शिक्षण संस्थानों में होने वाली तमाम गड़बड़ियों पर रोक लगाने के अलावा विवादों के निपटारे के लिए कारगर व्यवस्था बनाना है। हर विश्वविद्यालय में छात्रों के विवादों को देखने के लिए एक समर्पित नोडल अधिकारी होगा। छात्र शिकायत करने के बाद उस नोडल अधिकारी के ई-मेल के पते से लेकर मोबाइल नंबर और बाकी जानकारी देख सकेंगे। साथ ही नोडल अधिकारी भी छात्रों के बारे में सारी सूचना अपने रिकॉर्ड में रखेंगे। नोडल अधिकारी यूजीसी से प्रमाणित कॉलेजों से जुड़ी शिकायतों के निपटान को लेकर भी जिम्मेदार होगा।
इस र्पोटल के जरिए यूजीसी चाहता है कि छात्रों की शिकायतों का समयबद्ध ढंग से निपटारा हो। प्रत्येक 15 दिन के बाद नोडल अधिकारी के पास एक आॅटोमैटिक रिमांडर जाएगा कि मामले को बंद कर दो। अगर शिकायतकर्त्ता यानी छात्र से कोई बात करनी है या मामले को लेकर कोई स्पष्टीकरण लेना है तो नोडल अधिकारी उससे बात भी करेगा। यूजीसी भी खुद विवादों का स्टेटस जांच सकेगी। उसके प्रशासनिक डेशबोर्ड पर ग्राफिक में शिकायतों और उनके निपटान के अलावा लंबित पड़े मामलों, शिकायतों के प्रकार के बारे में विस्तृत जानकारी आती रहेगी।
शिकायतें कई तरह की हो सकती हैं, जिसमें दाखिला प्रक्रिया से लेकर आरक्षण नीति, प्रोस्पैक्ट्स के प्रकाशन/ गैर-प्रकाशन, जाति, संप्रदाय और वर्ग के आधार पर छात्रों के साथ भेदभाव, परीक्षा का समय से ना होना, परिणाम की घोषणा ना होना, छात्रों के लिए सुविधाओं का अभाव, छात्रवृति और फैलोशिप ना दिया जाना, छात्र का उत्पीड़न और जाति के आधार पर शारिरिक शोषण जैसी शिकायतें शामिल हैं। 

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