शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

राफेल विमान से जुड़ा पुराना सौदा रद्द

देश की सामरिक जरूरतों को तत्काल पूरा करेंगे 36 राफेल विमान
कविता जोशी.नई दिल्ली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद को लेकर किए गए समझौते के ऐलान के बाद उनकी अपनी ही पार्टी के अंदर मचे घमासान पर सोमवार को रक्षा मंत्री मनोहर ने यह कहकर पूरी तरह से विराम लगा दिया कि प्रधानमंत्री ने यह सौदा देश की सामरिक जरूरतों को तत्काल पूरा करने के तर्क को ध्यान में रखकर किया है जो कि बिलकुल ठीक है। यहां रक्षा मंत्रालय में रक्षा संवाददाताआें से हुई औपचारिक बातचीत में रक्षा मंत्री ने कहा कि इन 36 राफेल विमानों की खरीद का समझौता भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच किया गया है। लेकिन यह सभी विमान वायुसेना के लड़ाकू विमानों के मौजूदा मारक बेड़े की लगातार कुंद पड़ रही रफ्तार को धार देने में सक्षम होंगे। यहां बता दें कि बीते दिनों पीएम मोदी ने जब अपनी फ्रांस यात्रा में 36 राफेल विमान सीधे फ्रांस सरकार से खरीदने की घोषणा की तो उसके तुरंत बाद भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने राफेल विमानों की गुणवत्ता और मारक क्षमता पर गंभीर सवालिया निशान लगाए। स्वामी की टिप्पणी प्रधानमंत्री की कार्यप्रणाली और रक्षा मंत्रालय द्वारा वायुसेना की जरूरतों को लेकर किए जा रहे फैसलों पर सीधे प्रश्नचिन्ह लगा रही थी। इसका जवाब रक्षा मंत्री ने पत्रकारों से हुई बातचीत के दौरान दिया।  

पर्रिकर ने कहा कि फ्रांसीसी कंपनी डेसाल्ट एवीऐशन से खरीदे जाने वाले 126 एमएमआरसीए विमानों के पूर्ववर्ती सौदे का अब कोई अर्थ नहीं है। क्योंकि हम किसी एक ठोस विकल्प को लेकर ही आगे बढ़ सकते हैं। दो रास्तों की ओर आगे नहीं बढ़ा जा सकता। वहीं दूसरी ओर पीएम द्वारा 36 विमानों की सीधी खरीद का निर्णय सौदे की पुरानी प्रक्रिया की धीमा रफ्तार, लगातार दोनों पक्षों के बीच बातचीत का किसी नतीजे पर न पहुंचने और सौदे से जुड़ी अन्य पेचीदिगियों की वजह से उत्पन्न हुआ। सभी 126 विमानों की खरीद वित्तीय आधार पर भी काफी बड़ा सौदा होती। उन्होंने प्रधानमंत्री के इस निर्णय को साहसिक बताते हुए कहा कि इससे देश की रणनीतिक-सामरिक आवश्यकताएं तुरंत पूरी होंगी। 36 राफेल विमानों की ये 2 स्क्वॉड्रन भारतीय वायुसेना को करीब चार सालों में मिल जाएगी।

36 विमानों के बाद मेक इन इंडिया कार्यक्रम के भविष्य को लेकर पत्रकारों द्वारा पूछे गए प्रश्न के जवाब में रक्षा मंत्री ने कहा कि अभी मेक इन इंडिया और शेष विमानों को लेकर रक्षा मंत्रालय की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती। अब यह मामला भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच का है। इससे जुड़े अन्य मुद्दों पर भी आने वाले समय में दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल बातचीत करेंगे। जहां तक वायुसेना के लड़ाकू विमानों के मारक बेड़ें की कुल क्षमता यानि 42 स्क्वॉड्रन का मसला है तो उसकी काफी हद तक भरपाई इस सौदे के अलावा वायुसेना को आगामी 6 वर्षों में मिलने वाले लघु (एलसीए-तेजस) और बहुउद्देशीय लड़ाकू विमानों (सुखोई-30, उन्नत मिग-21 लड़ाकू विमान) की बड़ी खेप की आवक से हो जाएगी। रक्षा मंत्री ने कहा कि बीते छह महीने के दौरान वायुसेना के मारक बेड़ें की लगातार गिर रही क्षमता में 7 फीसदी तक का सुधार हुआ है। उन्होंने मंत्रालय द्वारा सशस्त्र सेनाओं के लिए की जाने वाली हथियारों की खरीद से इतर दुनिया की तमाम सरकारों के बीच किए जाने वाले समझौते को एक बेहतर विकल्प बताया।         

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