शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

ईरानी के ओएसडी संजय कचरू को लेकर बढ़ा विवाद

कविता जोशी.नई दिल्ली

26 मई को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में सत्तासीन हुई नई सरकार के गठन के बाद से केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय सबसे चर्चित रहा है। अब नई चर्चा मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के ओएसडी संजय कचरू को लेकर हो रही है। विवाद ज्यादा बढ़ गया है क्योंकि संजय कचरू की नियुक्ति को नियमित करने से डीओपीटी विभाग ने इंकार कर दिया है। हरिभूमि द्वारा इस मामले को लेकर मंत्रालय में पड़ताल करने पर जानकारी मिली कि संजय कचरू अगले सप्ताह की शुरूआत में सोमवार से आॅफिस जॉइन करेंगे। अभी फिलहाल वो कुछ दिनों से छुट्टी पर हैं।

क्या है पूरा मामला?
पिछले साल 26 मई को नई सरकार बनने के बाद संजय कचरू मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के ओएसडी के रूप में मंत्रालय में नियुक्त किए गए। मंत्रालय में आने से पहले वो एक निजी कॉरपोरेट घराने में किसी बड़े पद पर आसीन थे। डीओपीटी से बिना नियमित नियुक्ति के कचरू मंत्रालय से जुड़ी हर  फाइल देख रहे थे। जबकि आधिकारिक रूप से वो ऐसा नहीं कर सकते हैं। हाल ही में मंत्रालय की ओर से संजय कचरू की नियुक्ति को नियमित करने के लिए डीओपीटी विभाग के पास फाइल भेजी गई। लेकिन डीओपीटी ने इसे मंजूरी देने से इंकार कर दिया है।

बिना अधिकार के फाइलों तक पहुंच गलत
एचआरडी मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि कोई भी व्यक्ति जिसकी नियुक्ति इतने जिम्मेदारी वाले पद पर की जाती है। वो बिना डीओपीटी के नियुक्ति को नियमित कराए विभाग से संबंधित कोई भी फाइल नहीं दे सकते। जबकि एचआरडी मंत्रालय में स्थिति इसके बिलकुल उलट है। वहां कचरू बिना डीओपीटी से नियमित नियुक्ति पाए मंंत्रालय की सभी फाइलें और कामकाज देख रहे थे। सरकारी नियमों के हिसाब से कोई भ्‍ाी गैर सरकारी अधिकारी जिसकी नियुक्ति को डीओपीटी विभाग ने नियमित न किया हो। वो बिना आरटीआई लगाए मंत्रालय से जुड़ी कोई भी फाइल या सूचना प्राप्त नहीं कर सकता। चर्चाएं यहां तक हैं कि मंत्री के पास जाने वाली और वहां से आने वाली हर फाइल संजय कचरू देखते थे।

हितों में टकराव का मामला
संजय कचरू एचआरडी मंत्रालय जॉइन करने से पहले जिस कोरपोरेट घराने के साथ जुड़े हुए थे उनके साथ वो आज भी जुड़े हैं। ऐसे में हितों के टकराव का भी मामला बनता हुआ नजर आ रहा है। कचरू की नियुक्ति को डीओपीटी द्वारा नियमित न किए जाने को लेकर यह भी चर्चाएं जोरो पर हैं कि ऐसा करने से लोगों के बीच मोदी सरकार की छवि खराब हो रही है। इससे यह भ्‍ाी संकेत जा सकता है कि कॉरपोरेट घरानों पर सरकार हर तरह से मेहरबान बनी हुई है। गौरतलब है कि सरकारों में इस तरह के गैर-प्रशासनिक लोगों की नियुक्ति तो पहले भी की जाती रही है। लेकिन उन्हें उस विभाग का मुखिया यानि मंत्री डीओपीटी से नियमित कराता है। ऐसे ही एक गैर प्रशासनिक अधिकारी की ओएसडी के रूप में नियुक्ति का मामला यूपीए सरकार में एचआरडी मंत्री रहे पल्लम राजू के कार्यकाल में भी देखने को मिला था। लेकिन राजू ने बाद में उन्हें डीओपीटी से नियमित करा लिया था।            
     

       

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