शुक्रवार, 15 मई 2015

...तो सरकार के साथ बदल गर्इं देश की सामरिक जरूरतें!

कविता जोशी.नई दिल्ली
केंद्र की सत्ता पर नई सरकार को काबिज हुए अभी एक साल भी पूरा नहीं हुआ है। लेकिन उसके एक ताजातरीन फैसले से ऐसा लगता है कि सरकार बदलते ही देश की सामरिक जरूरतें भी बदल गईं हैं। मामला यूपीए सरकार के कार्यकाल में पूर्वोत्तर सीमा पर चीन से दो-दो हाथ करने के लिए तैनात की जाने वाली माउंटेन स्ट्राइक कोर (पहाड़ी इलाकों में लड़ाई में सक्षम) के गठन का है। इसके आकार में नई सरकार ने फंड की कमी का हवाला देकर कटौती करने का फरमान सुना दिया है। सेनाप्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग इस मामले को सोमवार से राजधानी में शुरू हो रहे साप्ताहिक सैन्य कमांडर सम्मेलन में जोर-शोर से उठाने वाले हैं। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि सेनाप्रमुख इस मसले पर सेना की सभी कमांडों के प्रमुखों के साथ विस्तार से चर्चा करेंगे। सेना की कुल 6 कोर हैं, जिसमें शिमला स्थित ट्रेनिंग कमांड भी शामिल है। इन सभी का मुख्यालय राजधानी में स्थित है। सम्मेलन का उद्घघाटन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर करेंगे।

पुराने प्रस्ताव में कटौती
यूपीए के पुराने प्रस्ताव के हिसाब से 88 हजार करोड़ रुपए क ी लागत से माउंटेन स्ट्रॉइक कोर के भारी-भरकम ढांचे को खड़ा किया जाना था। इस कोर में 70 हजार जवानों की तैनाती भी प्रस्तावित थी। लेकिन कुछ दिन पहले रक्षा मंत्री ने यह ऐलान किया कि सरकार कोर के आकार में कटौती करने जा रही है। इसमें कोर पर आने वाली कुल लागत को 88 हजार करोड़ रुपए से घटाकर 38 हजार करोड़ रुपए और जवानों की संख्या को 70 हजार से घटाकर 35 हजार किया जाएगा। गौरतलब है कि नई सरकार के गठन से पहले अपनी चुनावी रैलियों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की रक्षा को सर्वोपरि बताते हुए कहते थे कि उसके साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। सत्ता संभालने के बाद भी देश की सामरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए धन की कोई कमी न होने देने के बयान दिए जाते थे।

पूर्वोत्तर में भारत की ताकत
इस कोर के गठन के पीछे योजना यह थी कि इसके जरिए अरूणाचल से लगी पूर्वोत्तर सीमा में चीन की चुनौती का आसानी से मुकाबला किया जा सकेगा। रक्षा संबंधी जानकारों के मुताबिक पूर्वाेत्तर में ड्रैगन भारत को आंख दिखाने के लिए या युद्ध जैसी स्थिति में अपनी 30 सैन्य डिवीजन एक साथ लद्दाख से अरूणाचल-प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब ला सकता है। ऐसे में उसकी चुनौती का जवाब देने के लिए भारत के पास भी बराबरी की न सही बल्कि ठीक-ठाक सैन्य ताकत होनी चाहिए। भारत की पूर्वोत्तर में अभी केवल तीन सैन्य कोर तैनात हैं, जिसमें 6 डिवीजन भी शामिल हैं। इसके अलावा लद्दाख में 1 सैन्य डिवीजन है। एक डिवीजन में करीब 15 हजार जवान होते हैं। अभी स्ट्रॉइक कोर की दो डिवीजन गठित की
जा चुकी हैं। कोर का मुख्यालय पश्चिम-बंगाल के पानागढ़ में बनाया जाना है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें