रविवार, 17 मई 2015

तो प्रथम विश्वयुद्ध में साथ लड़े थे आॅस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड!

एनजेक डे पर दोनों के उच्चायुक्तों के साथ सेनाप्रमुख देंगे श्रद्धांजलि
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

वर्तमान में भारत-पाकिस्तान की तरह एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन आॅस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भी कभी एक राष्ट्र ‘आॅस्टेलिया’ की रक्षा के लिए एकजुट होकर लड़े थे। मौका था प्रथम विश्व युद्ध का जिसमें एक राष्ट्र के रूप में इन दोंनो के सैनिक केवल एक आॅस्ट्रेलियाई योद्धा के रूप में शामिल हुए थे। 25 अप्रैल को आॅस्ट्रेलिया ने तुर्की में विश्व युद्ध में शामिल होने के लिए अपनी सेनाओं को उतारा था। शनिवार को इसकी वर्षगांठ के मौके पर यहां राजधानी स्थित वॉर सिमेट्री में आॅस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के उच्चायुक्त, तुर्की के राजदूत और थलसेनाप्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग उन अमर शहीदों को पौ फटते ही (सुर्योदय के साथ) श्रंद्वाजलि देंगे। गौरतलब है कि न्यूजीलैंड इस दिन को तुर्की में सैनिकों को उतारने की घटना के तौर पर याद करता है तो आस्ट्रेलिया उन सभी न्यूजीलैंड के वीर योद्धाओं को याद करता है, जिन्होंने एकजुट होकर उनके राष्ट्र के लिए युद्ध में अतुलनीय योगदान दिया।

 प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय सेना ने ब्रिटिश सेना के हिस्से के तौर पर बढ़-चढ़कर भाग लिया। इसमें फ्रांस, जर्मनी, से लेकर तुर्की और कई अन्य जगहों पर लड़ाई के लिए सैनिक भारत से शामिल हुए। मौजूदा वर्ष प्रथम विश् व युद्ध के शताब्दी वर्ष के रूप में दुनिया भर में मनाया जा रहा है। भारत में बीते मार्च महीने में इसे लेकर कई आयोजन कर शहीदों को याद किया गया था।

क्या है एनजेक डे
एनजेक डे को वर्ष 1915 में प्रथम विश्व युद्ध के समय जब आॅस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की सेनाआें ने एकसाथ तुर्की के गेलीपोली में कदम रखा था की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। दरअसल इन दोनों देशों की सैन्य टुकड़ियां भी उस संयुक्त दस्ते का हिस्सा थी जिसे गेलीपोली प्रायद्वीप पर कब्जा करना था। 8 महीने तक इस अभियान में न्यूजीलैंड के करीब 3 हजार सैनिक मारे गए थे। एनजेक डे पर न्यूजीलैंंड में वर्ष 1921 से पब्लिक हालिडे रहता था। लेकिन 1921 आते-आते न्यूजीलैंड की सरकार ने इसे राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने के लिए एक बिल संसद से पास करवाया।

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