शुक्रवार, 15 मई 2015

जम्मू-कश्मीर में बढ़ सकते हैं आतंकी हमले

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली

जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी मसर्रत आलम की गिरμतारी से उपजे तनाव और पत्थरबाजी की लगातर जारी घटनाओं के बीच सेना ने यह अलर्ट जारी किया है कि आने वाले दिनों में आतंकी सूबे की शांति भंग करने को लेकर जी-जान से जुट सकते हैं। इसमें बीते मार्च महीने के दौरान सांबा में हुए आतंकी हमलों की पुनरावृति हो सकती है। सेना की श्रीनगर स्थित 16 वीं कोर के मुखिया ले.जनरल के.एच.सिंह ने यह बात कही है। उन्होंने कहा कि इन हमलों में आतंकी सैन्य प्रतिष्ठानों के अलावा सुरक्षा बलों के ठिकानों को निशाना बना सकते हैं।

यहां बता दें कि मसर्रत की गिरफ्तारी के बाद से घाटी में तनाव पसरा हुआ है। उधर सीमा के उस पार मौजूद आतंकियों के सरगना और 26/11 आतंकी हमलों के मास्टरमांइड हाफिज सईद ने राज्य में आतंक का खूनी खेल खेलने के प्रपंच में आतंकियों के साथ पाक सरकार और सेना की खुली मिलीभगत का एेलान किया है।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि इस वर्ष आतंकियों द्वारा भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार कर राज्य में प्रवेश करने की 3 बार जनवरी में कोशिश की गई। लेकिन हर बार उन्हें मूंह की खानी पड़ी और अपने नापाक इरादों के साथ ही वापस लौटना पड़ा। वहीं कश्मीर घाटी में आतंकवादियों के खिलाफ चलाए जा रहे सेना के आतंकवाद रोधी अभियानों में जनवरी में 10 आतंकवादी मारे गए। फरवरी में 6 और मार्च में 4 आतंकियों को सेना ने मार गिराया।

16वीं कोर के मुखिया (जीओसी) ने तराल में हुई हालिया घटना को लेकर कहा कि सेना द्वारा मारे गए युवक के पास से जांच के दौरान हथियार मिले हैं, जिससे यह साफ हो जाता है कि वो आतंकवादी ही होगा। आॅर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट (आॅफस्पा) को लेकर उन्होंने कहा कि घाटी के इलाकों में शांति स्थापित हो रही है, लेकिन अभी भी कुछ अराजक तत्व मौजूद हैं।

आतंकवादी वर्ष 2012 में संख्याबल के हिसाब से सबसे अधिक घुसपैठ करने में सफल हुए हैं। 2012 में 121 आतंकियों ने घुसपैठ की। 2013 में यह संख्या 97, 2014 में 60 हो गई। घसपैठ के प्रयासों के दौरान सबसे ज्यादा 238 आतंकी 2010 में मारे गए। 2014 में यह आंकड़ा 65 था। इन अभियानों में 2010 से लेकर 2014 तक कुल 127 सुरक्षाबल शहीद हुए हैं।

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