रविवार, 17 मई 2015

भूकंप प्रभावित पूर्व सैनिकों का दिल्ली में होगा मुफ्त इलाज

नेपाल में अभी 1.25 लाख पूर्व सैनिक परिवार सहित रह रहे हैं।
दिल्ली में आरआर और बेस अस्पतालों में होगा इलाज
कविता जोशी.नई दिल्ली

नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के बाद बुधवार को सेना ने ऐलान किया कि वो इस आपदा में प्रभावित हुए अपने पूर्व-सैनिकों और गोरखाआें को यहां दिल्ली लाकर मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान करेंगे। अभी नेपाल में 1.25 लाख पूर्व सैनिक और 38 हजार गोरखा अपने परिवारों के साथ रहते हैं। भूकंप में ये इन्हें भी काफी नुकसान हुआ है। यहां राजधानी में मौजूद सेना के सूत्रों ने बताया कि हमने यह निर्णय लिया है कि इस प्राकृतिक आपदा में प्रभावित हुए थलसेना के पूर्व सैनिकों यानि रणबांकुरों और गोरखाआें को यहां राजधानी दिल्ली लाकर सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल (आरआर) और बेस अस्पताल में मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाएगी। इससे इन लोगों को बड़े निजी अस्पतालों के चक्कर लगाने से भी निजात मिल जाएगी।

सेना ने बचाई 82 भारतीयों की जान
सेना की एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए गए पर्वतारोहियों में 82 भारतीयों की जान बचाई है। सेना के हेलिकॉप्टरों की मदद से इन्हें बुधवार को इन लोगों को कैंप 1 और 2 से निकालकर बेस कैंप से नीचे लुकला में सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। अब सेना अपने संचार माध्यमों जैसे फेसबुक और ट्विटर हैंडल के जरिए इनके अपनों को इनकी सलामती की सूचना देगी। जिसके बाद वो इनसे संपर्क कर सकेंगे। गौरतलब है कि बेस कैंप, पर्वतारोही द्वारा एवरेस्ट पर चढ़ाई करने के दौरान पड़ने वाला सबसे पहला पड़ाव है। इसके बाद कैंप 1 और 2 आते हैं। इसके बाद अंत में सीधे चोटी तक चढ़ाई की जाती है।

सेना के सूत्रों का कहना है कि इन लोगों को हमने कैंप 1, 2 से सुरक्षित निकाला है। भूकंप के बाद आए बर्फीले तूफान के बाद यहां अब तक पहुंचना असंभव बना हुआ था। बर्फील तूफान का सबसे ज्यादा प्रभाव बेस कैंप 1 और 2 पर ही पड़ा था। इनके नीचे मौजूद बेस कैंप से आपदा के शुरूआत में ही प्रभावितों को निकालने का सिलसिला चल रहा है। लुकला लाने के बाद इन लोगों की इनके परिजनों से बात नहीं हो पाई। क्योंकि संचार संपर्क नेपाल में भूकंप आने के बाद से ठप पड़ा हुआ है। ऐसे में इन लोगों ने सेना से गुहार लगाई कि वो अपने संचार सूत्रों के जरिए इनकी इनके परिजनों से बात कराएं और इनके सुरक्षित होने की सूचना दें। सेना ने इन लोगों के परिजनों तक इनकी सलामती की सूचना देने के लिए अपने फेसबुक और ट्विटर हैंडल का प्रयोग करने का निर्णय लिया है।

सोशल-मीडिया के इन सबसे तेज माध्यमों पर इन लोगों की जानकारी डाली जाएगी जिसके बाद इनके परिजन इनसे संपर्क कर सकेंगे। उधर सेना का अभियान आॅपरेशन मैत्री बेरोकटोक जारी है। अब सड़क मार्ग खुलने के बाद इसके जरिए लोगों को निकालने और प्रभावितों तक मदद पहुंचाने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है।

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