शनिवार, 13 जून 2015

मिड-डे-मील की निगरानी को शिक्षकों को जाएगा फोन!

कविता जोशी.नई दिल्ली

देशभर के स्कूलों में चर्चित मध्याहन भोजन योजना (एमडीएम) की रियल टाइम मॉनीटरिंग के लिए केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है कि वो राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में योजना से जुड़े शिक्षकों को रोजाना फोन करके जानकारी एकत्रित करेगी। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एमडीएम मामलों की देखरेख कर रही समिति ने बीते 5 मई को हुई बैठक में यह निर्णय किया है।

मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2012 से शुरू हुई एमडीएम योजना की रियल टाइम निगरानी को लेकर अब मंत्रालय ने सख्त रूख अख्तियार कर लिया है। इसकी जद में खासतौर पर वो राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों के अध्यापक आएंगे जिनके यहां योजना से क्रियान्वयन से जुड़ा इंट्रेक्टिव वाइस रिस्पांस सिस्टम (आईवीआरएस) क्रियान्वित नहीं किया गया है। गौरतलब है कि उत्तर भारत के दो बड़े जनसंख्या वाले राज्यों बिहार और उत्तर-प्रदेश ही देश में ऐसे दो राज्य हैं जिन्होंने आईवीआरएस को लागू किया है।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए मंत्रालय में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग में सचिव वृंदा स्वरूप ने राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों को सुझाव देते हुए कहा कि एमडीएम योजना के बारे में सही जानकारी इकट्टा करने और इसकी उचित निगरानी के लिए संबंधित स्कूलों के सभी शिक्षकों और योजना से जुड़ी अन्य एजेसिंयों के नंबर एकत्रित कि ए जाएं। इन नंबरों पर रोजाना फोन करके शिक्षकों से मध्याहन भोजन बनाने और परोसने के बारे में जानकारी ली जाएगी। उन्होंने राज्यों को कहा कि जुलाई 2015 तक इसका क्रियान्वयन किया जाए। एमडीएम योजना के सर्विस प्रदाता के लिए मंत्रालय ने परामर्श एजेंसी का नाम तय कर लिया है। इसके जरिए अब रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) की पुनरीक्षण किया जाएगा। यहां बता दें कि परामर्श एजेंसी ने पहले 31 मार्च को अपना पहला पुन: संशोधित ड्राμट मंत्रालय को भेजा था।

यहां बता दें कि देश में मिड-डे-मील योजना के तहत 10.45 करोड़ बच्चों को शामिल किया जा चुका है। 25.70 लाख रसोईए और हेल्परों को इस योजना से रोजगार मिल रहा है। इसके अलावा 6.70 लाख किचन और स्टोरों का निर्माण एमडीएम योजना के तहत राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में किया गया है।

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