शनिवार, 13 जून 2015

ओआरओपी: सरकार के रूख से नाखुश हैं पूर्व-सैनिक, तेज होगी आंदोलन की धार

कविता जोशी.नई दिल्ली

वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी)के मुद्दे पर राजग सरकार के मौजूदा रूख से पूर्व सैनिकों में खासी नाराजगी और बैचनी उत्पन्न हो रही है और उनका कहना है कि अगर इस मामले में जल्द ही केंद्र की ओर से किसी तारीख का ऐलान नहीं किया गया तो अगले महीने के पहले सप्ताह के तुरंत बाद पूर्व सैनिक बड़ी तादाद में सड़कों पर उतरेंगे और ओआरओपी की मांग को लेकर अपने आंदोलन को तेज करेंगे। इस मामले पर पूर्व उप-सेनाप्रमुख और इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट (आईईएसएम) के अध्यक्ष लेμिटनेंट जनरल राज कादयान ने हरिभूमि से खास बातचीत की।

सवाल-ओआरओपी के मामले पर अब आपका अगला कदम क्या होगा?
जवाब- साल 2009 से लेकर 2014 के चुनावी घोषणापत्र में भाजपा ओआरओपी को पूरा करने की बात कहती रही है। लेकिन आज की बात की जाए तो जमीन पर कुछ होता हुआ दिखायी नहीं दे रहा है। सरकार के मौजूदा रूख से पूर्व सैनिकों में खासी नाराजगी पनप रही है। अगर जल्द ही केंद्र की ओर से इस मुद्दे पर किसी तारीख का ऐलान नहीं किया गया तो आईईएसएम की ओर से फिर से आंदोलन तेज किया जाएगा। अगले महीने 6 तारीख को हम अपने आंदोलन की पूरी रणनीति पर चर्चा करेंगे।

सवाल- अपनी नाराजगी जताने के लिए क्या मैडल भी वापस करेंगे?
जवाब- इन सब बातों पर हम सोच विचार के बाद निर्णय करेंगे। अभी सरकार के पास हमारे 20 हजार मैडल्स पहले से हैं। मैंने सबसे पहले अपना मैडल 2008 में सरकार को वापस किया था। हम अपना अभियान पूर्ण अनुशासन के साथ चलाएंगे। जिसमें मैडल वापस करना भी शामिल हैं।

सवाल- सशस्त्र सेनाआें को ही क्यों बकियों को क्यों ना मिले ओआरओपी?
जवाब-सीआरपीएफ हमारी प्रतिद्वंदी नहीं है। प्रजातंत्र में कोई भी मांग कर सकता है। लेकिन फौज द्वारा मांगी गई ओआरओपी की मांग को लेकर सरकार भी सहमत है।

सवाल- ओआरओपी से सरकारी खजाने पर बल पड़ेगा?
जवाब-सवाल 8 हजार या 5 हजार करोड़ का नहीं है। अगर देश को इतनी बड़ी सेना की जरूरत है, तो सरकार को उसका ध्यान भी रखना पड़ेगा। सेना कितनी होनी चाहिए हम तय नहीं करते सरकार तय करती है।

सवाल-क्या ओआरओपी की परिभाषा बदल रही है सरकार?
जवाब-हमने सुना है कि सरकार परिभाषा बदल रही है। परिभाषा को तो सरकार ने संसद के मंच पर पहले स्वीकार किया था। अगर उसे बदला तो ठीक नहीं होेगा। वित्त मंत्रालय परिभाषा बदलने के काम में लगा है। अगर ऐसा हुआ तो हम अपना आंदोलन फिर से शुरू करेंगे।

सवाल-आप अपने वोट बैंक के जरिए सरकार पर दवाब बना रहें हैं?
जवाब-हमने अपना आंदोलन राजनीतिक दलों के साथ मिलकर कभी नहीं लड़ा। हम 25 लाख जरूर हैं, लेकिन 29 राज्यों और 7 केंद्रशासित प्रदेशों में बटे हुए हैं। लेकिन हमारी ताकत आम जनभावनाएं हैं। अगर पूर्व सैनिकों के साथ अच्छा बर्ताव नहीं किया गया तो इससे जनभावनाएं भी जरूर प्रभावित होंगी।

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