शनिवार, 13 जून 2015

.....तो अब हाइवे पर भी लैंड करेंगे लड़ाकू विमान

कविता जोशी.नई दिल्ली

अब तक आपने वायुसेना के लड़ाकू विमानों को अपने हवाईअड्डों से उड़ान भरने और लैंड करने की खबरें सुनी होगी। लेकिन बृहस्पतिवार को बल के एक लड़ाकू विमान मिराज-2000 ने यमुना एक्सप्रेस-वे पर सफलतापूर्वक लैंड कर एक नया इतिहास रच दिया। यहां राजधानी में मौजूद वायुसेना के सूत्रों ने बताया कि मिराज विमान के साथ पायलट विंग कमांडर प्रशांत अरोड़ा ने वायुसेना के ग्वालियर एयरबेस (वायुसेना की केंद्रीय कमांड का हिस्सा) से सुबह 6 बजकर 25 मिनट पर उड़ान भरी और इसके ठीक 15 मिनट बाद विमान ने 6 बजकर 40 मिनट पर यमुनाएक्सप्रेस-वे पर लैंड किया।

लैडिंग से पूर्व ली अनुमति
एक्सप्रेस-वे पर मिराज विमान की लैडिंग के लिए वायुसेना ने उत्तर-प्रदेश सरकार के अलावा आगरा और मथुरा के जिलाधिकारी, एसपी, यमुना एक्सप्रेस- वे प्राधिकरण, स्थानीय पुलिस और जेपी एंफ्राटेक से अनमुति ली थी। वायुसेना की योजना भविष्य में अन्य हाइवे की पट्टियों को भी इस तरह से विकसित करने की है, जिसके बाद वहां से भी लड़ाकू विमानों को लैंड कराया जा सके।

ऐसे हुई लैंडिंग
मिराज-2000 विमान ने यमुना एक्सप्रेस-वे पर लैंड करने से पहले अपनी ऊंचाई को करके 100 मीटर पर ला दिया और उसके बाद हाइवे पर तैयार की गई पट्टी पर इसे उतारा गया। यह विमान वायुसेना के बेड़े में शामिल पुराने मिराज-2000 विमानों में से ही एक है। हाल ही में वायुसेना को फ्रांस से 2 उन्नत मिराज-2000 विमान भी मिले हैं, जिनकी तैनाती भी ग्वालियर एयरबेस में ही है। इस वक्त वायुसेना के पास करीब 64 मिराज-2000 विमान हैं, जिनका उन्नतीकरण किया जाना है। लैडिंग से पहले एहतियात जरूरी मिराज या ऐसे अन्य लड़ाकू विमान उतारने से पहले कई एहतियाती कदम वायुसेना को उठाने पड़ते हैं। इसमें हाइवे का लगभग 5 किमी. का इलाका आगे और पीछे पूरी तरह से खाली कर दिया जाता है। इस दौरान लड़ाकू विमान की लैडिंग के समय गति करीब 200 किमी. होती है। वायुसेना लैडिंग साइट यानि हाइवे की पट्टी की चौड़ाई सीधी होनी चाहिए। इसके आसपास किसी तरह की कोई रिहाइश, बिल्डिंग या आबादी न हो, कोई खंबा, पेड़ और साइकिल लेन नहीं होनी चाहिए। वायुसेना के आगरा हवाईअड्डे से मिराज विमान की लैडिंग के लिए तमाम सुरक्षा संबंधी इंतजाम किए गए। विभिन्न स्थानीय एजेंसियों से अनुमति ली गई।

कई देश हैं ऐसी लैडिंग में सक्षम
भारत में लड़ाकू विमानों को हाइवे पर लैंड कराने की शुरूआत आज हुई है। लेकिन दुनिया के विकसित और विकासशील देशों में यह प्रक्रिया लंबे समय से प्रयोग में लायी जाती रही है। इस क्लब में अमेरिका, ब्रिटेन, स्वीडन, चीन, पाकिस्तान, सिंगापुर, ताइवान जैसे देश शामिल हैं। रक्षा संबंधी जानकार कहते हैं कि इस तरह की लैडिंग की सुविधा युद्ध जैसी आपात स्थिति में खासकर तब बेहद मददगार होती है, जब दुश्मन हवाई हमलों के जरिए हमारे हवाईअड्डों को नष्ट कर दें या उन्हें गंभीर नुकसान पहुंचाए।

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